विलक्षण प्रतिभा के धनी देवांश धनगर देश के नन्हें द्रोणाचार्य

@ मुंबई से शशि दीप की प्रस्तुति…

प्रतिभा ईश्वरीय उपहार होता है, जिसके लिए किसी साधन, किसी अवसर और किसी आयु का बंधन नहीं होता। प्रतिभाएं किसी की मोहताज भी नहीं होती है। जिनमें कुछ कर गुज़रने का जज़्बा हो वे विषम परिस्थितियों में भी कुछ कर गुजरते हैं। खुशी की बात ये है, कि अब हमारे समाज से भी प्रतिभाएं उभरकर सामने आ रही हैं जो देश-दुनिया में अपनी विलक्षण प्रतिभा के दम पर समाज ही नहीं वरन् देश दुनिया में अपना नाम रोशन कर लेती है। ऐसी ही एक विलक्षण प्रतिभा के धनी नन्हें द्रोणाचार्य से आज हम आपको रूबरू करा रहे हैं जिसने अपनी प्रतिभा से अपना ही नहीं बल्कि अपने देश का नाम स्वर्ण अक्षरों से इतिहास में लिखा लिया है।

ताज नगरी आगरा के रहने वाले 15 वर्षीय देवांश धनगर द्वारा
अपनी विलक्षण प्रतिभा के दम पर आज विश्व धरा पर अपना नाम स्वर्णिम युग के द्रोणाचार्य के रूप में दर्ज करा लिया है। एक प्राइवेट शिक्षक की सन्तान देवांश धनगर ने अल्प आयु में वह कर दिखा दिया जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती। पर्यटक गांव बरारा के रहने वाले 13 वर्षीय देवांश धनगर जो बच्चों को अबेकस, और कोडिंग की शिक्षा देते हैं जो देवास धनगर की अकादमी है जिसका नाम श्री गिर्राज देवांश एकेडमी है उसे अमेरिका की एक संस्था IQA ने एफीलिएशन दिया है IQA संस्था को देवास धनगर का कोर्स आफ कंटेंट्स और पढ़ना का जो तरीका है बहुत ही पसंद आया IQA संस्था ने ने जो सर्टिफिकेट देवांश के छात्रों के भेजे थे देवांश ने उन्हें अपने जन्मदिन पर बच्चों को दिए। 12 वर्ष की उम्र में देवांश ने 12वीं परीक्षा के साथ-साथ जेईई मेंस में 99.91% प्राप्त की हाल ही में कुछ महीने पहले अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी ने देवांश धनगर को डॉक्टर की मानद उपाधि दी थी। देवांश धनगर जो कभी स्कूल ही नहीं गया और गरीब बच्चों को निशुल्क कोडिंग की शिक्षा देता है पूरे भारतवर्ष में अब तक लगभग 700 से अधिक बच्चों को फ्री कोडिंग सीख चुका है देवास धनगर ने एक आवासीय अकादमी की स्थापना की जिसका नाम देवांश ने अपने दादाजी के नाम के साथ श्री गिर्राज देवांश एकेडमी रखा है देवांश के नाम कई राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार है कई पत्रिकाओं में जीवनी जा चुकी है शायद भारत का यह पहला विद्यार्थी है जिसने इतनी कम उम्र में जे ई ई मैंस जैसी परीक्षा 99.9% से पास बिना किसी कोचिंग के सम्भव कर दिखाया।

कोडिंग मास्टर डॉ. देवांश धनगर द्वारा संचालित ‘श्री गिर्राज देवांश अकादमी’ देवांश धनगर द्वारा प्रशिक्षित सभी 30 छात्रों ने दिल्ली में अबेकस ओलंपियाड संगठन द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लिया। तथा राष्ट्रीय स्तर की इस प्रतियोगिता में विजय हासिल की। जिसमें कोडिंग मास्टर डॉ. देवांश धनगर को ओलंपिक एसोसिएशन समिति द्वारा तीसरी बार बेस्ट टीचर का अवार्ड से नवाज़ा गया। महज 13 वर्ष की उम्र में पीएचडी और डी.लिट. की उपाधि प्राप्त करने वाले श्री गिर्राज देवांश अकेडमी के संचालक डॉ. देवांश धनगर (उम्र 15 वर्ष) आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। देश भर में ज्यों-ज्यों देवांश की प्रतिभा का पता चलता जा रहा है उन्हें बड़े से बड़े सम्मानों से नवाजा जा रहा है। पत्रकारों की सुरक्षा एवं कल्याण के लिए प्रतिबद्ध अखिल भारतीय संगठन प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स संगठन ने नन्हें द्रोणाचार्य को हार्दिक बधाई व उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।