हठधर्मिता, तानाशाही और भ्रष्टाचार की परिपाटी पर चल रही है भोपाल कमिश्नर प्रणाली
सूचना अधिकार अधिनियम की मूल भावना के साथ खिलवाड़ करता भोपाल पुलिस कमिश्नर कार्यालय
भोपाल! भारतीय लोकतंत्र को सशक्त करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करने वाला कानून “सूचना का अधिकार” यदि मध्य प्रदेश के संदर्भ में कहा जाए तो अपनी धार खो चुका है। अनियमित और भ्रष्ट छबि की अफसरशाही ने इसके मूल उद्देश्य को तहस नहस कर दिया है। 2005, में कानूनी जामा पहनने वाला यह कानून भारत के प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार प्रदान करता है कि वह कोई भी सार्वजनिक जानकारी जो उसके हितार्थ हो या न हो भारत सरकार के अधिकारियों से प्राप्त कर सकता है। इस अधिनियम को व्यवहार में लाने के लिए इसके अंतर्गत संपूर्ण व्यवस्था की गई है। लेकिन वर्तमान समय में यह कानून खोखला साबित हो रहा है। यह आरोप आल इंडिया ह्यूमन राइट्स एंड सोशल जस्टिस कौंसिल के संस्थापक अध्यक्ष डॉक्टर सैयद खालिद कैस एडवोकेट ने लगाया।
श्री कैस ने एक प्रेस विज्ञप्ति मे बताया कि उन्होंने 12फरवरी 2024को भोपाल पुलिस कमिश्नर श्री हरिचरण चारी मिश्रा को भोपाल नगरीय पुलिस व्यवस्था में मौजूद अनियमितता और अधिवक्ताओं को हो रही समस्याओं के निराकरण हेतु ज्ञापन सौंपा था। करीब एक माह तक जब उसपर कोई कार्यवाही नहीं हुई तो उनके द्वारा पुलिस कमिश्नर कार्यालय जाकर सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत दिनांक 13/03/2024कोआवेदन प्रस्तुत कर पता किया कि उक्त ज्ञापन पर क्या कार्यवाही हुई। आवेदन प्रस्तुत करने के बाद उनको ज्ञात हुआ कि उनके द्वारा दिया गया ज्ञापन पुलिस कमिश्नर कार्यालय से गुम हो गया है या मिल नही रहा। कार्यालय के कर्मचारी द्वारा फोन पर श्री कैस ने ज्ञापन की कॉपी की मांग की। दिनांक 02/04/2024को व्हाटएप पर कॉपी उपलब्ध कराने के बाद यह आशा जगी थी कि जानकारी प्राप्त होगी।लेकिन निर्धारित तिथि 13/04/2024तक कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। दिनांक 18/04/2024को श्री कैस ने पुन:पुलिस कमिश्नर को इस संबंध में अवगत कराया उनके द्वारा भी कॉपी पुन:मांगी गई लेकिन दुर्भाग्य का विषय है आज 23अप्रैल तक उनके द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
आल इंडिया ह्यूमन राइट्स एंड सोशल जस्टिस कौंसिल के संस्थापक अध्यक्ष डॉक्टर सैयद खालिद कैस एडवोकेट ने आरोप लगाया कि भोपाल नगरीय पुलिस व्यवस्था इस समय चरम पर मानव अधिकार हनन पर आमादा है, विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट बने पुलिस अधिकारी हठधर्मिता, तानाशाही पर आमादा है। कायदे कानून से अनभिज्ञ भोपाल पुलिस कमिश्नर प्रणाली में पुलिस अधिकारी हठधर्मिता का प्रदर्शन कर रहे हैं। अधिकारियों के संरक्षण में अधीनस्थ कर्मचारी भ्रष्टाचार के पर्याय बने हुए हैं। पुलिस कमिश्नर प्रणाली के अस्तित्व में आए करीब ढाई वर्ष के बाद भी अधिवक्ताओं को मूल भूत सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है, इन सभी विषयों पर पुलिस कमिश्नर को दिए ज्ञापन के प्रति बरती गई उदासीनता इस बात का प्रमाण है कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली में पुलिस अधिकारी हठधर्मिता का प्रदर्शन पर विराम को स्वीकार नहीं करना चाहते तभी तो सूचना अधिकार अधिनियम के तहत दिए गए ज्ञापन के प्रति लापरवाही का प्रदर्शन किया जा रहा है। वरना नियम अनुसार पुलिस कमिश्नर को संबंधित कर्मचारियों के प्रति अनुशासनात्मक कार्यवाही करनी चाहिए थी उनको दंडित करना चाहिए थे, पुलिस कमिश्नर की लापरवाही उनको संरक्षण प्रदान कर रहीं है।
आल इंडिया ह्यूमन राइट्स एंड सोशल जस्टिस कौंसिल के संस्थापक अध्यक्ष डॉक्टर सैयद खालिद कैस एडवोकेट ने कहा कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली में पुलिस अधिकारी हठधर्मिता का प्रदर्शन की शिकायत पर पुलिस महानिदेशक का रवैया भी उदासीन है। उनको भी 12/02/2024को सौंपे गए ज्ञापन पर आज दिनांक तक कोई एक्शन नहीं लिया जाना इसी बात का प्रमाण है। डॉ सैयद खालिद कैस एडवोकेट ने कहा की पुलिस कमिश्नर प्रणाली और अधिकारियों की हठधर्मिता, भ्रष्टाचार और अधिवक्ताओं के मूलभूत अधिकारों के लिए अब उच्च न्यायालय जबलपुर की शरण लेनी होगी।