भोपाल में पुलिस कमिश्नर प्रणाली में व्याप्त अनियमितता के संबंध में पुलिस महानिदेशक को दिया ज्ञापन, पुलिस कमिश्नर से की चर्चा

भोपाल। राजधानी भोपाल में 09 दिसंबर 2021को अस्तित्व में आई पुलिस कमिश्नर प्रणाली को 02वर्ष का अंतराल हो चुका है लेकिन अधिकारी कर्मचारियों के अनियमित और भ्रष्ट आचरण के कारण यह प्रणाली जहां एक ओर मानव अधिकार विरोधी साबित हो रही है वहीं दूसरी ओर अधिवक्ता वर्ग के लिए अपमान का पर्याय बनती जा रही है। इसी संदर्भ में गत सोमवार आल इण्डिया ह्यूमन राइट्स एंड सोशल जस्टिस कौंसिल अध्यक्ष डॉक्टर सैयद खालिद कैस एडवोकेट ने पुलिस महानिदेशक को ज्ञापन सौंप पुलिस कमिश्नर श्री हरिचरण चारी मिश्रा से मुलाकात की तथा पुलिस कमिश्नर प्रणाली में उत्पन्न अव्यवस्थाओं से अवगत कराया।

गौर तलब हो कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद से राजधानी भोपाल में अपराध पर अंकुश लगा हो या नहीं लेकिन पुलिस अधिकारी कर्मचारियों के मानव अधिकार विरोधी व्यवहार के कारण खुलकर पुलिसिया तानाशाही का प्रदर्शन दिखाई दे रहा है। उपायुक्त पुलिस सहित सहायक पुलिस आयुक्त न्यायालयों में मनमानी और भ्रष्ट आचरण का प्रदर्शन हो रहा है। अधिकतर विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट (उपायुक्त, सहायक पुलिस आयुक्त) व उनके अधीनस्थों का पक्षकारों और अधिवक्ताओं से व्यवहार ठीक नहीं है।
दो वर्ष से अधिक समय गुजर जाने के बाद आज तक किसी भी उपायुक्त पुलिस सहित सहायक पुलिस आयुक्त न्यायलय में अधिवक्ताओं के लिए बैठक व्यवस्था तथा पीने का पानी शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव दिखाई दे रहा है। सभी उपायुक्त पुलिस सहित सहायक पुलिस आयुक्त अपने अपने नियम बनाकर न्यायालय संचालित कर रहें हैं। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 20/21में प्राप्त विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट की शक्ति के स्थान पर न्यायिक दंडाधिकारी की भांति अपनी तानाशाही अपना रहे हैं जिसके कारण अधिकतर विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट तमाम कायदा कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट की लापरवाही कहें या संरक्षण अधिकतर उपायुक्त पुलिस सहित सहायक पुलिस आयुक्त न्यायलय के कर्मचारी भ्रष्टाचार के प्रयाय बने हैं जिसकी गाज अधिवक्ताओं और आमजन पर पड़ रहा है।
उपायुक्त पुलिस सहित सहायक पुलिस आयुक्त न्यायलय में प्रतिबंधात्मक धाराओं के प्रकरणों में पीठासीन अधिकारियों का व्यवहार न्यायिक दंडाधिकारी की भांति दंडात्मक दृष्टिगत हो रहा है। पुलिस और प्रशासनिक शक्ति एक ही व्यक्ति को मिलने के परिणाम स्वरूप अधिकारियों में उद्दंडता दिखाई दे रही है। उपायुक्त पुलिस सहित सहायक पुलिस आयुक्त न्यायलय में धारा 122के मामलों में करावासित किए जाने सहित भारी राशि से अर्थदंड की वसूली भी जनमानस को आर्थिक रूप से तोड़ रही है। जनता अपने घर के बर्तन ,आभूषण बैंचकर अर्थदंड की राशि का भुगतान कर रही है। पुलिस कमिश्नर प्रणाली के कारण भय और आतंक का माहौल निर्मित है।

डॉक्टर सैयद खालिद कैस एडवोकेट द्वारा इस संबंध में पुलिस कमिश्नर श्री हरिचरण चारी मिश्रा को अवगत कराया जिस पर उन्होंने इसे गंभीरतापूर्क लिया और अतिरिक्त पुलिस आयुक्त को उचित कारवाही हेतु निर्देशित किया।