पैर पसारता ऑनलाइन सट्टा कारोबार, चिरनिंद्रा में सरकार!

 

डॉक्टर सैयद खालिद कैस

विचारक, समीक्षक, लेखक, पत्रकार

भोपाल मध्य प्रदेश।

भारतीय समाज में जुआ सट्टा पुरातन काल से विद्यमान है। महाभारत काल इसका साक्षात साक्षी है। हर युग में जुआ सट्टा को घृणित नजर से देखा जाता रहा है और भारत वर्ष में इसको अवैध कारोबार की श्रेणी में रखा जाकर अपराध माना गया है। और इसके व्यापार संव्यवहार को अनैतिक गतिविधि में रखा गया। भारतीय समाज में गैर कानूनी दर्जा प्राप्त इस सबके बावजूद फलता फूलता रहा है और पुलिस प्रशासन लाख जतन के बावजूद इसको जड़ मूल से नष्ट करने में नाकाम रहे हैं। वर्तमान संदर्भ में इस अपराध का नवीन रूप समाज की मानसिकता पर आघात कर रहा है, इस नवीन रूप को ऑनलाइन सट्टा कारोबार की संज्ञा दी गई है और विशेष बात यह है कि सरकार की जानकारी में यह कारोबार फलफूल रहा है और सरकार खामोश है।

आपको बता दें कि वर्तमान समय में ऑनलाइन गैंबलिंग एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। ऑनलाइन जुएं की लत और इससे जुड़ी बढ़ती आत्महत्याओं की घटना के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने नए कानून बनाने की बात कही थी। इसके बाद कानून के प्रारूप को गृह विभाग ने अंतिम रूप दे दिया था। लेकिन वह कानून आज तक अस्तित्व में नही आया।

वर्तमान में प्रदेश में सार्वजनिक जुआ अधिनियम 1876 लागू है। इसमें ऑनलाइन गैम्बलिंग के लिए कोई प्रावधान नहीं हैं। इस समस्या के निराकरण के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नए कानून बनाने की बात कही थी। इसके बाद सरकार ने टास्ट फोर्स गठित की थी। इस टास्क फोर्स ने ’सार्वजनिक जुआ अधिनियम 2023’ (ऑनलाइन गैम्ब्लिंग के विरुद्ध प्रावधानों सहित) का ड्रॉफ्ट तैयार किया लेकिन सरकार के अनियमित आचरण के फलस्वरूप वह कानूनी दर्जा प्राप्त नहीं कर पाया।

ऑनलाइन गैम्ब्लिंग के बढ़ते प्रभाव के फलस्वरूप केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ऑनलाइन सट्टेबाजी पर नियंत्रण के लिए बड़ा कदम उठाया था , मंत्रालय ने मीडिया के लिए चेतावनी भी जारी करके ऑनलाइन सट्टेबाजी को बढ़ावा देने वाले विज्ञापन पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन यह सारे दावे कागजी साबित हो गए हैं और सरकार के प्रतिबंध के बावजूद मीडिया में ऑनलाइन सट्टेबाजी को बढ़ावा देने वाले विज्ञापन बदस्तूर जारी हैं।

देश के अधिकांश हिस्सों में सट्टेबाजी और जुआ अवैध हैं। यह दर्शकों खासकर बच्चों के लिए अधिक वित्तीय और सामाजिक-आर्थिक जोखिम पैदा करते हैं। सरकार ने अपनी चेतावनी में कहा गया था कि ऑनलाइन सट्टेबाजी पर इन विज्ञापनों से बड़े पैमाने पर इस प्रतिबंधित गतिविधि को बढ़ावा मिलता है। ऑनलाइन सट्टेबाजी के विज्ञापन भ्रामक होते हैं. ये उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019, केबल टेलीविजन नेटवर्क विनियमन अधिनियम और विज्ञापन कोड और प्रेस परिषद अधिनियम, 1978 के तहत निर्धारित पत्रकारिता आचरण के मानदंडों के अनुरूप नहीं हैं। मंत्रालय ने ये चेतावनी जनहित में जारी की थी, इतना ही नहीं मंत्रालय ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफार्मों के विज्ञापनों को प्रकाशित करने से बचने की सलाह दी थी।लेकिन सरकार की चैतावनी खोखली साबित हो रही है, ऑनलाइन सट्टेबाजी को बढ़ावा देने वाले विज्ञापन सोशल मीडिया प्लेटफार्म सहित अखबारों,टीवी चैनल पर बदस्तूर दिखाई दे रहे हैं ऐसा नहीं है सरकार इस सबसे अंजान है।

गौर तलब हो कि इससे पहले भी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 4 दिसंबर, 2020 को निजी सैटेलाइट टीवी चैनलों को एक सलाह जारी की थी, जिसमें प्रिंट और ऑडियो विजुअल विज्ञापन के लिए ऑनलाइन गेमिंग के विज्ञापनों पर भारतीय विज्ञापन मानक परिषद के दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए कहा था। लेकिन ऑनलाइन सट्टा कारोबार के आगे सरकार कमजोर नजर आती है। दुर्भाग्य का विषय है कि इस तरह के अवैध कारोबार के प्रचार में देश की जानी मानी शख्सियत सहित फिल्मी कलाकार बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं और फिल्मी हीरो को अपना आदर्श मानने वाली युवा पीढ़ी इस ऑनलाइन सट्टेबाजी के मायाजाल में फंस रहे हैं।सरकार की नाकामी कहें या हिस्सेदारी जो यह अवैध कारोबार जमकर युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रहा है।