साहित्य शिखा विश्व भर के साहित्यकारों का प्रकाशपुंज: शशि दीप

विश्व साहित्य सद्भाव परिषद की अभिनव कृति साहित्य शिखा के विमोचन को आज ठीक एक महीने पूरा हुआ और इस एक महीने में न जाने कितनी प्रतियां आम और खास हाथों में पहुंच चुकी है वो भी सहजता पूर्वक जो इस बात का प्रमाण है कि ईश्वर हर उस काम को अंत में सरल बना देते हैं जो शुरू में बहुत कठिन या असंभव सा मालूम पड़ता है। सबसे पहले जब दो महीने पूर्व इस किताब की परिकल्पना पत्रकारिता में मेरे मार्गदर्शक डॉ सैयद खालिद कैस जी द्वारा की गयी तो मैंने हामी तो भर दी लेकिन अंदर से पूर्ण आत्म विश्वास जैसा कुछ एहसास नहीं हुआ लेकिन जब हमने इस ओर कार्य करना शुरू किया तब एक जुनून सा सवार हो गया। वक़्त कम थे लेकिन चुनौतियां बहुत थी और उन चुनौतियों को स्वीकार करना तथा उन पर विजय प्राप्त करना ही मेरा ध्येय था। देश-विदेश से प्राप्त रचनाओं को एकत्रित कर उन्हें अमली जामा पहनाना ही मेरा लक्ष्य था। मेरे इस अभियान में Booksclinic Publishing की पूरी टीम का पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ जिसके फलस्वरुप बहुत ही कम समय में हम इस कृति के सृजन में सफल हुए। लगभग एक माह के अथक प्रयास से साहित्यकारों की काव्यांजली का प्रकाशन कर आज ही के दिन 13 August 2023 को मुंबई के एक आलिशान होटल में सम्पन्न कार्यक्रम में इस किताब का विधिवत विमोचन संपादित हो सका। मेरे संपादन में ये प्राथना कृति है जिसमें मैंने देश विदेश के रचनाधर्मिता के नायाब रचनाओं को समाहित कर एक ऐसे सुगंधित पुष्प गुच्छ की अवधारणा की है जो अनंत काल तक अपने पाठकों को आनंदित करती रहेगी। इससे पूर्व मेरे द्वारा लिखी मेरी पहली बेस्ट सेलिंग अँग्रेजी कृति WAVES Within Horizon and Beyond की अपार सफ़लता के पश्चात मेरे द्वारा संपादित kavyanjli साहित्य शिखा भविष्य में ऐसे कृतियों के सृजन के लिए मार्ग पराश्रित करती है निकट भविष्य में आगामी कृति सरोबर की आभा मेरे द्वारा लिखी काव्य संग्रह है जिसमें मेरे द्वारा अपने जीवन से जुड़े हर पहलुओं अनुभवों को ललित कथाओं का रुपvdekr एक ऐसी कृति का बिदा उठाया है जिसके प्रकाश से युवा रचनाकारों साहित्य सुधि पाठकों को साहित्य सृजन में सहेज सरल भाषा में अपनी विचारों को प्रस्तुत करने की प्रेरणा मिल सकती है। ईश्वर की महान अनुकंपा से मैं ऊपर वाले के इशारे से ही आगे चलना चाहती हूं मुझे कोई जल्दबाजी नहीं न ही कोई किताबों की संख्या बढ़ाना मेरा मकसद है। सच कहूँ तो मैंने माँ सरस्वती की कृपा से इतना कुछ लिखा है कि अभी तीन किताबें निकाली जा सकती है पर पुस्तकों की संख्या बढ़ाने से क्या होगा। एक-एक किताब के पीछे गूढ़ विचार मंथन, ध्येय, इच्छा शक्ति, सकारात्मक सोच और समाज हित के प्रति मानवीय दृष्टिकोण का समायोजन नितांत आवश्यक है। पुस्तकें मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ मित्र है ilmofan वो बड़ा ख़ज़ाना है लाख बातों कमी नहीं होती। इनमें वो शक्ति होती है जो इंसान को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है और कठिन समस्याओं के निदान में सहायक होती है। मेरी पुस्तकें पाठकों के लिए एकाकी व कमजोर पलों में सच्चा मित्र बने, आत्म बल का साधन बने तथा समाज व राष्ट्र के उत्थान के लिए उपयोगी हो। यही ईश्वर से प्रार्थना है।
जय हिन्द जय भारत

शशि दीप ©✍
विचारक/ द्विभाषी लेखिका
मुंबई
shashidip2001@gmail.com