अधिमान्यता पत्रकार बनाने के नाम पर प्रदेश में चल रहे गोरख धंधे पर सरकार की चुप्पी संदेहास्पद

भोपाल। अमूमन हर पत्रकार की यह इच्छा होती है कि वह अधिमान्यता पत्रकार बने ताकि शासन प्रशासन स्तर पर उसका मान हो। पत्रकारिता के नाम पर चल रही अंधी दौड़ में कलंकित होने से बचे। ताकि शासन प्रशासन स्तर पर उसे फर्जी पत्रकार न कहा जाए। परंतु मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क संचालनालय की कठोर नीतियों के फलस्वरूप तथा वर्षों से विभाग की अधिमान्यता समितियों के गठन के अभाव में प्रदेश के श्रमजीवी पत्रकार पात्रता के बावजूद अधिमान्यता पत्रकार बनने से वंचित हो रहे हैं। यह बात नहीं है कि जनसंपर्क संचालनालय द्वारा तहसील, जिला तथा राज्य स्तरीय अधिमान्यता पत्रकार नहीं बना रहा है। अपुष्ट सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि जनसंपर्क संचालनालय में मौजूद दलाल, अनाधिकृत लोग जो सुबह से शाम तक कार्यालय के गलियारों में दिखाई देते हैं वह अपने रसूख या अन्य माध्यमों से प्रदेश भर में अधिमान्यता पत्रकार बनाने का धंधा वर्षो से जमाए हुए हैं। यह कोई नई बात नहीं है, पूरा प्रदेश इस बात से वाकिफ है। शासन प्रशासन स्तर पर सब इस बात से वाकिफ हैं जिनका दाव लगता है वह अधिमान्यता पत्रकार का कार्ड प्राप्त कर लेते हैं तथा उनके माध्यम से अन्य ग्राहक बनाए जाते हैं। लेकिन इसके विपरित अधिमान्यता पत्रकार बनाने का ठेका प्रदेश में मौजूद कुछ संगठन ,संस्थान भी बदस्तूर कायम भी किए हुए हैं। उनकी संस्थाओं के नाम में या तो अधिमान्यता पत्रकार शब्द जुड़ा रहता है या वह अपने सदस्यों को जो परिचय पत्र जारी करती हैं उन पर अधिमान्यता पत्रकार लिखा होता है ताकि वह यह साबित कर सकें कि उनके सदस्य अधिमान्य पत्रकार हैं। अधिकतर मामलों में दुरांचल, ग्रामीण या कम पढ़े लिखे पत्रकारों से (गैर पत्रकार) मोटी रकम हासिल कर यह कथित संगठन, संस्थान, संस्थाएं अपने संगठन की सदस्यता के नाम पर जारी परिचय पत्र में अधिमान्य पत्रकार शब्द लिखकर अपना धंधा जमाए हुए हैं। ऐसा नहीं है कि जनसंपर्क संचालनालय इस बात से अनभिज्ञ हो लेकिन कार्यवाही करना नही चाहते। नतीजतन इन कथित संगठनों का यह गोरख धंधा जमकर फलफूल रहा है।

 

कल अचानक एक परिचित पत्रकार ने मुझे एक मीडिया संस्थान द्वारा अधिमान्यता पत्रकार बनाने के बारे में जानकारी प्रदान की। उसके द्वारा बताया गया कि नोएडा में स्थित उक्त मीडिया संस्थान प्रति व्यक्ति रुपए 15000/लेकर अधिमान्यता पत्रकार का कार्ड जारी कर रहा है। उसके द्वारा बताया गया कि यह कार्ड भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय के आर एन आई विभाग से जारी हो रहा है जो पूरे भारत में काम आएगा। मिली जानकारी से मुझे जिज्ञासा हुई के उस संस्थान द्वारा किसी अधिमान्यता पत्रकार कार्ड के दर्शन करूं, देखूं तो कि भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय के आर एन आई विभाग कब से अधिमान्यता पत्रकार का कार्ड जारी होने लगा है। संबंधित साथी द्वारा उक्त मीडिया संस्थान द्वारा जारी जो अधिमान्यता पत्रकार कार्ड की फोटो उपलब्ध कराई उसको देखकर प्रथम दृष्ट्यता यह साबित हो गया कि यह अधिमान्यता पत्रकार कार्ड फर्जी है। अवलोकन पर पता लगा कि उक्त कार्ड पर मध्य प्रदेश शासन का लोगो लगाया गया है,कार्ड आर एन आई विभाग के पेज की छाया पर बनाया गया है, जिस पर आर एन आई विभाग का स्पष्ट उल्लेख सहित कार्यालय का पता यहां तक के जारी कर्ता अधिकारी भी आर एन आई विभाग का ही दर्शाया गया है। कार्ड का पिछला भाग भी आर एन आई विभाग के पेज की छाया पर बनाया गया है, जिस पर आर एन आई विभाग का लोगो दिखाई दे रहा है लेकिन उसमे लिखी इबारत उसके फर्जीवाड़े की गवाही दे रही है। कार्ड की कापी का पाठकगण भी अवलोकन कर सकते हैं। बहरहाल उक्त संस्थान द्वारा जारी अधिमान्यता पत्रकार कार्ड फर्जी है जो आर एन आई विभाग के पेज की छाया पर बनाया गया है, जिस पर आर एन आई विभाग का लोगो भी है साथ ही मध्य प्रदेश सरकार का अधिकृत लोगो भी शोभा बढ़ा रहा है।इस प्रकार उक्त संस्थान पत्रकारों को फर्जी अधिमान्यता पत्रकार कार्ड जारी कर धन पीठ रहा है और सरकार की कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। मध्य प्रदेश सरकार या भारत सरकार के नाम पर अधिमान्यता पत्रकार कार्ड फर्जी जारी करके अपना धंधा चलाने वाले प्रदेश सहित सम्पूर्ण भारत में फलफूल रहे हैं और भोले भाले ग्रामीण इलाकों के पत्रकार इनकी ठगी के शिकार हो रहे हैं। संबंधित संस्थान से संपर्क नही हुआ है। लेकिन जो साक्ष्य उपलब्ध हुए वह प्रथम दृष्टि में इस बात का पुख्ता प्रमाण हैं कि अधिमान्यता पत्रकार कार्ड के नाम पर जारी यह गोरख धंधा पत्रकारिता की अस्मिता को आघात पहुंचा रहा है वहीं दूसरी ओर यह कार्य मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क संचालनालय की विश्वनीयता पर प्रश्न चिन्ह है।

प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्टस की ओर से प्रदेश सरकार से मांग की जाती है कि :

जनसंपर्क संचालनालय द्वारा अधिमान्यता पत्रकार बनाने की जटिल प्रक्रिया को सरल किया जाए तथा अधिमान्यता पत्रकार बनाने की चल रही दुकानों, संस्थाओं, संगठनों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाए ताकि ग्रामीण इलाकों सहित विधि के ज्ञान से वंचित पत्रकारों के साथ हो रही ठगी को रोका जा सके। प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट ने इस आशय की लिखित शिकायत रजिस्ट्रार प्रेस पंजीयक नई दिल्ली,पुलिस महानिदेशक मप्र सहित आयुक्त जनसंपर्क संचालनालय को की है।

सैयद खालिद कैस

संस्थापक अध्यक्ष

प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट