क्रिएटिव माइंड्स के लिए सोशल मीडिया सकारात्मक बदलाव का वृहद मंच

(सोशल मीडिया डे पर विशेष)

बहुतों ने बचपन में एक कहानी सुनी/ पढ़ी होगी कि एक खरगोश आम के पेड़ के नीचे नींद में सोते हुए आसमान के बारे में सपना देख रहा था। आंख खुली तो एक आम नीचे गिरा और जोर की आवाज आयी, वो नींद की हालत में सोचा आसमान गिरने वाला है और खरगोश जान बचा कर भागा और रास्ते के सब जानवरों को चेतावनी देता गया जिससे एक के बाद एक सभी जानवर खरगोश का अनुसरण करते गए। आसमान गिरने वाली है जानकारी की सत्यता की जांच किए बिना सब भागते गए। जब तक शेर के कान तक बात पहुंची बहुत देर हो चुकी थी। शेर ने जांच पड़ताल करवाया तो पता चला कि आसमान से गिरा हुआ टुकड़ा कुछ और नहीं बल्कि पेड़ से गिरा हुआ आम था। इस कहानी से पता चलता है पहले क्या ज़माना था जब किसी ख़बर को फैलाने के लिए स्वयं दौड़ना पड़ता था, पास जाकर बताना पड़ता था। उपरोक्त कहानी में जो जानकारी थी वह एक अफवाह थी इसलिए जल्दी फैल गयी पर कोई गंभीर मुद्दा होता तो शायद एक एक को व्यक्तिगत रूप से मिलकर बताना पड़ता। पर आज इन्टरनेट ने आधुनिक जगत में विश्व के समस्त देशों को और भी पास ला दिया है। और विगत दो दशकों से सोशल मीडिया के आने से संचार क्षेत्र में क्रांति आयी है। जिनके माध्यम से आज घर बैठे हाथ में मोबाइल लिए पूरी दुनिया से आभासी रूप में हाथ मिला सकता है। कहने का तात्पर्य य़ह है कि आज सोशल मीडिया से कोई ख़बर हो, बिजनेस एडवर्टाइजिंग हो, टैलेंट हो, सुख दुख की सूचना हो, त्वरित व प्रभावी रूप से विस्तृत जानकारी पहुंच रही है यही कारण है मनुष्य इस सुविधा को अपनी आदत में शुमार कर चुका है और स्थिति ये हो चुकी है कि आज सोशल मीडिया के बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है। आप सोचेंगे लेखिका अचानक सोशल मीडिया का महिमा मंडन क्यों कर रहीं हैं? आपको बता दूँ इसी सोशल मीडिया से पता चला कि खास दिनों के बढ़ते प्रचलन में 30 जून सोशल मीडिया डे के रूप में मनाया जाता है। लेकिन सच तो य़ह है कि सोशल मीडिया डे एक दिन हो ही नहीं सकता। क्योंकि इनके यूजर बिरादरी लगभग रोज सोशल मीडिया में विचरण करते हैं, हालांकि सोशल मीडिया को हैंडल करना आसान नहीं। सबसे पहले ये सोचना जरूरी है कि हमारा ध्येय क्या है, फिर हम अपने काम या उद्देश्य के मुताबिक सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। मीडिया के द्वारा हम जितनी सहजता से सकारात्मक सूचना प्राप्त कर सकते है उतनी ही सहजता से फेक न्यूज/अफवाह भी हमें प्राप्त हो जाती है। और इसी लिए गलत कार्यों में लिप्त लोग नकारात्मक तरीके से सोशल नेटवर्किंग का इस्तेमाल करके आज समाज को दूषित कर रहे है जबकि बुद्धिजीवियों, क्रिएटिव माइंड्स सोशल मीडिया को प्रचार प्रसार का एक वृहद मंच समझकर सकारात्मक बदलाव की दिशा में उपयोग करते हैं। अब गूगल, फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, ट्वीटर आदि के युग में समाज का वो हिस्सा जिस तक नकारात्मक सूचना पहुंच रही है, वह तेजी से पतन की ओर अग्रसर है। लेकिन व्यापारिक क्षेत्र में सोशल मीडिया ने क्रांति ला दी है। आज सोशल मीडिया के माध्यम से उपभोक्ता घर बैठे विश्व के किसी भी कोने से खरीददारी कर सकते हैं। बड़े-बड़े संगठन सोशल मीडिया से संचालित हैं, बड़े बड़े वैश्विक कॉन्फ्रेंस हो रहे हैं, यूं कहें इसकी एक अलग ही दुनिया है। चाहे कोई भी संदेश हो, टेक्स्ट, ऑडियो, वीडियो किसी भी रूप में विश्व के किसी भी कोने में बैठे व्यक्त्ति को प्रसारित कर सकते हैं या बिना कोई खर्च के सीधा सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं। मैं स्वयं लगभग पंद्रह वर्ष से सोशल मीडिया में सक्रिय हूं लेकिन उस ध्येय के साथ कि सोशल मीडिया सामाजिक सरोकार के लिए इस्तेमाल हो न कि व्यक्तिगत जीवन को बहुत ज्यादा प्रचारित किया जाए। देश हित समाज हित की बात लिखी जाए, सृजनात्मक कार्यों को प्रोत्साहन मिले। संवैधानिक पदों पर आसीन महानुभावों तक आम जनता आसानी से पहुंचा जा सके। खैर सबका अपना अपना शौक सोशल मीडिया ने किसी के लिए कोई सीमा नहीं बांधी यही कारण है आज इसका दुरुपयोग भी बहुत हो रहा है जिसके लिए इंसानी फितरत, चेतना व नैतिकता का अभाव जिम्मेदार है। विज्ञान व तकनीकी के क्षेत्र में विकास वरदान और अभिशाप दोनों ही होता है लेकिन ईश्वर ने मनुष्य को क्षमता दी है कि वह किस चीज को कैसे इस्तेमाल करे इसका सोच समझ कर फैसला कर सके लेकिन इंसान लापरवाही करने से बाज नहीं आता इसलिए अपने जीवन में आयी कई परेशानियों के लिए वह सोशल नेटवर्किंग को दोषी करार देता है।

शशि दीप ©✍
विचारक/ द्विभाषी लेखिका
मुंबई
shashidip2001@gmail.com