मध्यप्रदेश में आने वाले चुनाव में ओ पी एस मॉडल और स्थानीय मुद्दे बदलेंगे सरकार
बागली – मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के प्रांत अध्यक्ष अशोक पांडे ने मध्य प्रदेश शासन को अंतिम चेतावनी देते हुए कहा कि वह शीघ्र ही कर्मचारियों की मांग पूरी कर ले वरना कर्नाटक जैसे नतीजे आ सकते हैं। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश मॉडल की तर्ज पर कर्नाटक ने भी स्थानीय मुद्दे और ओ पी एस योजना को लागू करने की बात कही। मध्य प्रदेश भी शासकीय कर्मचारियों के हिसाब से बड़ा राज्य है यहां पर ओल्ड पेंशन योजना और कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग वर्षों से चली आ रही है। लेकिन मध्यप्रदेश शासन अन्य अनाप-शनाप योजना लागू करने में व्यस्त है और प्रदेश को करोड़ों रुपए के कर्ज के बोझ तले लाने में पीछे नहीं है किंतु कर्मचारियों की मांग पर कोई विचार नहीं किया जा रहा । यह पीड़ा आने वाले चुनाव में जरूर उजागर होगी और सत्ता परिवर्तन में शहद भी होगी। हमारे संवाददाता को मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के प्रांत अध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया कि विगत 2 वर्षों से क्रमबद्ध आंदोलन प्रदेश में कई स्थानों पर कर्मचारी मंच द्वारा किए जा रहे हैं। संविदा कर्मचारियों की तरह अनियमित कर्मचारियों का भी कोई भविष्य नहीं है यहां तक कि ओल्ड पेंशन योजना लागू नहीं होने से स्थाई कर्मचारियों का भविष्य भी आधर में है। हाल ही में कर्नाटक चुनाव में 72% कर्मचारियों ने रूलिंग पार्टी के खिलाफ मतदान करके सत्ता परिवर्तित कर दी। सोचने वाली बात यह है कि कर्मचारी भले ही एक रहता है लेकिन उसके साथ उसके परिवार के सभी सदस्य रहते हैं। और कर्मचारी पढ़े लिखे समझदार वर्ग से आता है इसलिए वह मतदाताओं को प्रभावित करने में बहुत सक्षम है यदि प्रदेश के नए पुराने एवं वर्तमान नियमित आने में संविदा कर्मचारी सरकार के खिलाफ मतदान का मन बना ले तो सरकार को कोई नहीं बचा सकता है। मोटे तौर पर हजारों करोड़ों रुपए का कर्ज लेकर लाडली बहन योजना को लांच किया इतने में पेंशन बहाली योजना लागू हो सकती थी। मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के जिला अध्यक्ष जहूर शाह एवं चिकित्सा विभाग के संविदा कर्मचारियों ने हाल ही में प्रदेश के कई स्थानों पर क्रमबद आंदोलन करके सरकार को सजग किया लेकिन सरकार के कानों में जूं नहीं रेंग रही। इस संबंध में हाल ही में भाजपा छोड़कर आए वरिष्ठ नेता दीपक जोशी ने कहा कि हम शुरू से ही कर्मचारियों की मांग का समर्थन कर रहे हैं सत्ता पक्ष में रहते हुए भी उनकी मांग को मानने के लिए सरकार को कहा लेकिन सरकार है कि मदमस्त होकर कर्मचारियों को छोड़कर अन्य योजनाओं में व्यर्थ खर्चा कर रही है।