द केरल स्टोरी के नाम पर महिलाओं की चिंता करने वाली मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार में अब तक 36,000 से अधिक महिलाएं लापता
सैयद खालिद कैस की कलम से
म.प्र. की शिवराज सरकार का “लव जिहाद” धर्मांतरण और कट्टरता के खिलाफ जागरूकता पैदा करने की चिंता का पाखंड तब उजागर हुआ जब राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने अपनी रिपोर्ट के माध्यम से दावा किया कि मध्यप्रदेश में 36हजार से अधिक महिलाएं लापता है।
जब राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश में अब तक 2,830 नाबालिग लड़कियों सहित 36,104 लापता महिलाओं को ट्रैक करने में पुलिस तंत्र पूर्णता विफल रहा है। यह आंकड़े तब सामने आए जब भाजपा शासित सरकारों द्वारा विवादित तथा असत्य तथ्यों पर आधारित फिल्म “द केरल स्टोरी” का समर्थन कर केरल सरकार पर हमला कर धर्म विशेष पर “लव जिहाद” धर्मांतरण और कट्टरता का आरोप लगाकर देश में एक नई बहस को आमंत्रण दिया है। फिल्म के पक्ष विपक्ष की चर्चा का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। पश्चिम बंगाल तथा तमिलनाडु सरकार के फिल्म प्रदर्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका पर आज कोर्ट ने दोनों सरकार से जवाब तलब किया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 का सहारा लेकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा पक्ष इस व्यवस्था को समय समय पर अपने हिसाब से उपयोग करना चाहता है। मामला सुप्रीम कोर्ट में है अंतिम निर्णय सभी को मान्य होगा लेकिन किसी फिल्म के आधार पर वैमनस्था फैलाना, कटुता फैलाना नीतिगत बात नहीं। वह भी तब, जब फिल्म को देश के प्रधानमंत्री सहित पूरी भाजपा का समर्थन केवल इसलिए दिखाई दे रहा है क्योंकि केरल वही राज्य है जहां नफ़रत को कोई स्थान नहीं, जहां भाजपा का कोई वजूद नहीं, जहां शिक्षा की दर सबसे अधिक है, जहां धार्मिक दंगों की आग में जनता की आहुति नहीं दी जाती, जहां मानवता पर बल दिया जाता है।
मालूम हो कि भाजपा शासित गुजरात राज्य से पिछले पांच साल में 40हजार से अधिक महिलाओं के गायब होने की खबर को जमकर दबाया गया। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2021 की रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार सहित गुजरात सरकार की ख़ामोशी के बाद अब मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार का भी महिला विरुद्ध रूप उजागर हो गया है। प्रदेश में भाजपा के 20साल के कार्यकाल में महिला अपराधों की संख्या बढ़ोत्तरी के बाद राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार चार बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार में 2019 से 2021 के बीच 25,209 नाबालिगों के लापता होने की सूचना मिली है। इनमें से 2,830 नाबालिग लड़कियों का पता नहीं चल पाया है और न ही पुलिस उन्हें बरामद कर पाई है। इसमें पिछले वर्षों के समग्र अनट्रेस्ड मामले शामिल हैं। जहां तक लापता महिलाओं के मामलों की बात है, तो मध्य प्रदेश में 2019 से 2021 के बीच 99,119 महिलाओं के लापता होने की सूचना है। रिकवरी दर में 47% से 51% के बीच उतार-चढ़ाव के साथ, राज्य ने लापता महिलाओं में से आधी से अधिक को बरामद कर लिया, जबकि 33,274 का पता नहीं लगाया जा सका या बरामद नहीं किया जा सका।
गौर तलब हो कि एमपी पुलिस ने 2021 में लापता महिलाओं और नाबालिगों को वापस लाने के लिए ‘ऑपरेशन मुस्कान’ शुरू किया। पुलिस के दावे अनुसार 60% से अधिक की रिकवरी दर के साथ, पांच चरणों में 9,329 पीड़ितों को ट्रैक किया है। लेकिन उसके बावजूद मध्यप्रदेश सरकार के दावे खोखले साबित दिखाई दे रहे हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में 36हजार से अधिक महिलाएं लापता के तथ्य के उजागर करने ने मध्यप्रदेश सरकार के महिला हितेषी सभी दावों की पोल खोल दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने प्रदेश की महिलाओं की चिंता छोड़कर केरल सरकार पर हमला करने में यह भूल गए कि उनका दामन भी दागदार है। सरकार यह भी भूल गई कि जिनके घर शीशे के होते हैं उनकी दूसरों के घरों पर पत्थर नही उछालना चाहिए।राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में 36हजार से अधिक महिलाएं लापता के तथ्य चिंता का विषय हैं सरकार को दूसरों पर कीचड़ उछालने की आदत को छोड़ अपने दामन पर लगे दाग मिटाने होंगे, साल के आखिर में प्रदेश में विधानसभा चुनावों के बीच इस ख़बर ने शिवराज सरकार के दावों की पोल खोल दी है।