आधुनिकता की होड़ में जूझता मातृत्व
आजकल गर्मी की छुट्टियां चल रही है, तो बच्चों के मजे ही मजे हैँ। परन्तु आज के ज़माने में विरले ही लोग रह गए हैं, जो ज्यादा दिनों के लिए किसी दूसरी जगह छुट्टी मनाने जाते हैं। बाकि सभी, कुछ दिन की आउटिंग करके, वापस अपने शहर में, अपने घर पर ही रहकर आराम से रहना पसंद करते हैं। ऐसे में बढ़ते बच्चे अपने दोस्तों के साथ अलग अलग तरह की योजनाए बनाकर, छुटियों पर खूब धमाल करते हैं।
कभी क्रिकेट की टीम बनाते हैं, कभी पिट्टू, कभी खो खो और ना जाने क्या क्या। फिर किसी दिन पिकनिक जाने का प्लान बन जाता है, किसी दिन किसी के घर केक बनाना, कभी डोनट्स बनाना, कभी सब मिलकर पेंटिंग करने की इच्छा होती है। छुट्टीयों में ये बच्चे पूरी तरह से तनाव मुक्त होते हैं, और वह सब कर पाते हैं जो उन्हें पसंद होता है। बच्चों के खाली समय को देखते हुए, समर कैंप का बिसनेस खूब फल-फूल रहा है। ज़रा सा एक महीने का समय क्या मिल गया बच्चों को, बस माता- पिता फिर उनके पीछे लग जाते हैं उन्हें व्यस्त करने में। फिर वही नयी-नयी क्लासेस जो सिर्फ पढ़ाई ही है। कोई हैंडराइटिंग क्लास चला रहा है, कोई गणित के फॉर्मूले, कोई इंग्लिश स्पीकिंग तो कोई हिंदी या कोई और भाषा सीखा रहा है।
अरे ठहर भी जाओ जरा! समय के साथ सब सीखते जायेंगे, सिर्फ क्लासेस में कुछ दिन भेजने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता। जो कामकाजी माता-पिता हैं उन्हें अपने बच्चो को व्यस्त रखना हैं और जो लोग किसी क्षेत्र में थोड़ा भी एक्सपर्ट हैं वो क्लास चलाना चाहते हैं। मतलब साफ़ है कि बिसनेस खूब धड़ल्ले से चल रहा है। क्योंकि हमें चैन नहीं कि हमारे बच्चे के पास थोड़ा खाली वक्त है। हम सब इन चीजों को बढ़ावा दे रहे हैं क्योंकि हम थोड़ा भी लीक से हटकर नहीं सोंचते, बस भेंड़ चाल चलते हैं। क्यों ना कुछ ऐसा करे जिसमें बच्चों को बड़ा ही आनंद आये, समर कैंप में न भेजना पड़े और बच्चों के सिर पर एक नए क्लास का तनाव भी न हो।
जरा अपने आप से खुद पूछकर देखें कि, किस बात में सबसे ज्यादा आनंद आता हैं? फिर वही बात बच्चों के ऊपर लागू करें। फिर बच्चे को साधारण अनुशासन में रखकर, उसके मन पसंद का काम करने दें। याद रहे, बच्चे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से जितना दूर रहें अच्छा हैं। परन्तु उनके पास बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं, जिससे मजे के साथ छुट्टियाँ बीत सकती है बस हम माॅम्स को ज़रा वक्त निकालकर अपने बच्चों को थोड़ा सा याद दिलाने की ज़रूरत है, जिससे वे आज के ज़माने की कई लुभाने वाले और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक आदतों से दूर रहकर खूब मौज मस्ती कर सकते हैं। मातृ दिवस पर क्यों ना इस बात गंभीरतापूर्वक विचार करें और मॉडर्न सशक्त मॉम्स होने के साथ-साथ मातृत्व के पारंपरिक तरीकों को भी अपनाते हुए अपने बच्चों को एक मजबूत परवरिश दें, उन्हें अपने अंदर की प्रतिभा को खोजने और निखारने का अवसर दें न की भेड़चाल में कतारबद्ध होकर, उन्हें किसी तरह व्यस्त कर अपनी जिम्मेदारियों से कन्नी काटने का जुगाड़ करें।
शशि दीप ©✍
विचारक/ द्विभाषी लेखिका
मुंबई
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