पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक से क्यों घबराती है मोदी सरकार
” प्रधानमंत्री मोदी को करप्शन से नफरत नहीं “
गत दिनों भारतीय मीडिया में एक इंटरव्यू ने कोहराम मचा दिया। उस इंटरव्यू के प्रकाशन पर मोदी सरकार ने लाख पाबंदियां लगाई हो लेकिन जहां जिस स्तर पर वह प्रकाशित हुआ उसने मोदी सरकार को कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है।सरकार की खामोशी इस बात का प्रमाण है कि इंटरव्यू में दिए गए तथ्य अप्रमाणित नही हैं। सरकार की घबराहट का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उस इंटरव्यू के प्रसारण प्रकाशन के बाद प्रयागराज में अतीक अहमद और उसके भाई की पुलिस अभिरक्षा में कराई गई कथित हत्या की खबरों को इस तेजी से फैलाया गया ताकि उस इंटरव्यू को दबाया जाए। सोशल मीडिया पर तो यहां तक दावा किया जा रहा है कि उस इंटरव्यू को दबाने के लिए ही प्रयागराज में अतीक अहमद और उसके भाई की पुलिस अभिरक्षा में हत्या कराई गई है।
जी हां मैं बात कर रहा हूं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के अभिन्न मित्र ,भाजपा के बड़े नेता और बिहार, जम्मू कश्मीर , गोवा , मेघालय के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक साहब के वरिष्ठ पत्रकार करण थापर को दिए गए इंटरव्यू की।
आज हर कोई उस इंटरव्यू से परिचित है। देश की जनता जान चुकी है सत्यपाल मलिक के इंटरव्यू में कही एक एक बात को। क्योंकि उनके द्वारा जिस प्रकार मोदी सरकार पर हमलावर रुख अपनाया है वह अप्रत्याशित था। मलिक साहब जब राज्यपाल थे तब भी वह लगातार मोदी सरकार ओर मोदी की नीतियों पर निशाना साधते थे। किसान आंदोलन के समय राज्यपाल रहते हुए उन्होंने किसान कानून के खिलाफ मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया था,खुलकर किसानों के समर्थन में बयान दिए थे। लेकिन अब की बार उनके द्वारा दिए गए इंटरव्यू ने 2019 की मोदी सरकार की उदासीनता को उजागर कर फिर जनमानस के पटल पर एक सवाल छोड़ दिया है पुलवामा का जिम्मेदार कौन?
श्री मलिक द्वारा अपने इंटरव्यू में बताया था कि जब मैं जम्मू कश्मीर का राज्यपाल था तब हमारे देश के CRPF जवानों ने कश्मीर से सुरक्षित वापसी यात्रा के लिए सिर्फ 5 एयरक्राफ्ट मांगे थे। मोदी सरकार के गृहमंत्रालय ने साफ मना कर दिया। मज़बूरन उन्हें बस से सफर करना पड़ा।
रास्ते में RDX लदी जीप से बस पर आतंकी हमला हुआ और हमारे 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गए। जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जब PM मोदी से कहा- ये हमारी गलती से हुआ है। जानते हैं PM मोदी ने क्या कहा? PM ने कहा- ‘तुम अभी चुप रहो।’
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अपने इंटरव्यू में कहा कि इनकी गलती की वजह से हमारे देश के जवान शहीद हो गए और PM मोदी अपनी छवि बचाने में लगे रहे।
बिहार, जम्मू कश्मीर , गोवा , मेघालय के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक की बेबाकी से घबराई मोदी सरकार की तल्ख मिजाजी का अंदाजा ही इस बात से लगाया जा सकता है कि सरकार ने उनको मिली जेड प्लस सुरक्षा वापस ले ली है ।ऐसा नहीं है कि मलिक साहब अनजान व्यक्ति हैं ।मलिक जी प्रधान मंत्री के पुराने मित्र हैं और बीजेपी में ही हैं । वे दिल्ली के एक सुदूर इलाके के एक किराए के छोटे से घर में रहते हैं और उनको केवल एक दिल्ली पुलिस का एक सिपाही सुरक्षा के लिए मिला है। जबकि देश में ऐसे सैकड़ों लोग हैं जिनको सरकार से वाई, जेड, जेड प्लस सुरक्षा मिली हुई है। मगर जम्मू कश्मीर के इस पूर्व राज्यपाल से सुरक्षा इस लिए छीनी गई क्योंकि यह सरकार की आंख में चुभ रहें थे।
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने प्रधान मंत्री मोदी पर उन्होंने गंभीर आरोप लगाए हैं और कहा है कि उन्होंने पुलवामा पर आतंकी संगठन के द्वारा हमले में सीआरपीएफ के जवानों और पदाधिकारियों की मृत्यु के बाद मोदीजी से फोन पर बात किया और जब घटना के बारे में बताया और कहा कि तुरंत आईएएफ का प्लेन भेजा जाए ताकि घायल सीआरपीएफ के जवानों और पदाधिकारियों को दिल्ली भेजा जाए ताकि उनका इलाज किया जा सके। उनका कहना है कि इस पर मोदी जी ने कहा “तुम चुप रहो”! उन्होंने कोई सहायता नहीं भेजी । इस घटना की कोई आधिकारिक जांच नहीं कराई और उल्टा उनको ही जम्मू कश्मीर गवर्नर से हटा दिया गया और दूसरे राज्य में भेज दिया!
उन्होंने कहा है कि उनको दुख है कि आज तक कोई जांच नहीं हुई और न सरकार ने उनके परिवारों की सुध ली है। उन्होंने इस सुनियोजित तरीके से किए गए 2019 के लोक सभा चुनाव से ठीक पहले हुए हमले पर काफी गंभीर सवाल खड़े किए हैं । हालाकि उनको बीजेपी से निकाला नहीं गया है! श्री मलिक ने इशारे इशारे में यह बता दिया कि 2019के पुलवामा कांड के दम पर मोदी जी ने लोकसभा चुनाव जीता है। यह इस बात की ओर भी इशारा करता है कि लोकसभा चुनाव जीतने के लिए मोदी सरकार ने RDX लदी जीप से बस पर आतंकी हमले से हमारे 40 से ज्यादा शहीद जवानों की आहुति ले ली जिसकी जांच आज तक नही होना इसी का प्रमाण है।
सत्यपाल मलिक ने उस इंटरव्यू में सनसनीखेज दावा किया था कि प्रधानमंत्री मोदी को करप्शन से नफरत नहीं है। उनके इस आरोप ने कई सवाल खड़े किए हैं जिनके जवाब पर सरकार की खामोशी प्रश्नचिन्ह लगाती है।
गौर तलब हो कि सत्यपाल मलिक पूर्ण राज्य के तौर पर जम्मू-कश्मीर के आखिरी राज्यपाल रहे थे. उनके कार्यकाल में ही वहां पर आर्टिकल 370 को खत्म किया गया था. बाद में राज्य को दो हिस्सों लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में विभाजित कर इसे केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया था।
वरिष्ठ पत्रकार करण थापर को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि आरएसएस के राम माधव उनसे जम्मू कश्मीर में गवर्नर रहते हुए मिले थे और उनको एक ठेका देने के लिए 300 करोड़ के रिश्वत देने की पेशकश की । लेकिन इस बात की जानकारी मिलने पर मालिकजी को वहां से हटा दिया गया और दूसरे राज्य में भेज दिया। मलिक साहब के इस बयान के बाद प्रधानमंत्री या सरकार का कोई वक्तव्य नही आना बयान को प्रमाणित करता है। सरकार ने पिछले दरवाजे से राम माधव के कंधे पर बंदूक रखकर मलिक साहब को मानहानि का नोटिस दे दिया है। सरकार जानती है कि किसान नेता मलिक साहब पर सीधे हमले से सरकार को भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। मलिक साहब का यह कहना कि वह (सरकार)मुझे मरवा नही सकती क्योंकि मेरे पीछे किसान है इस बात को बल देता है कि सरकार जानती है कि मलिक साहब पर अटैक करना उसके लिए दुखदाई होगा।सरकार यह भी जानती है कि मलिक साहब की साफगोई से जनता परिचित है। अब सवाल जनता करेगी जिसका जवाब सरकार दे नही सकती।
13अप्रैल को पूर्व सांसद अतीक अहमद के पुत्र के इनकाउंटर के ठीक 2दिन बाद प्रयागराज में पुलिस अभिरक्षा में मेडिकल कॉलेज के बाहर जिस नाटकीय घटनाक्रम से अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या का एपिसोड फिल्माया गया वह सत्यपाल मलिक के इंटरव्यू को दबाने का प्रयास माना जा रहा है।क्योंकि चंद सोशल मीडिया प्लेटफार्म और अखबारात के अलावा जिस खूबी से उस इंटरव्यू को दबाया गया वही इसी का प्रमाण है।
जो भी हो जनता जानना चाहती है पुलवामा का सच?
जनता जानना चाहती है सत्यपाल मलिक के द्वारा मोदी सरकार पर लगाए गए आरोपों का सच?
सैयद खालिद कैस
संस्थापक अध्यक्ष
प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स