पत्रकारों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शासकीय, अशासकीय या अनुदान प्राप्त अस्पतालों में आरक्षण एवं सुविधायें उपलब्ध कराने का कोई प्रावधान नहीं शिवराज सरकार के पास:सैयद खालिद कैस

 

भोपाल। पत्रकार सुरक्षा एवम कल्याण के लिए प्रतिबद्ध अखिल भारतीय संगठन प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स द्वारा 08 जनवरी 2021में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पत्रकार हित में 12 सूत्रीय ज्ञापन सौंपकर निराकरण की मांग की थी।इसी संदर्भ में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी द्वारा भी शिवराज सिंह चौहान जी को 22/01/2021को पत्र लिखकर निराकरण को कहा था। परंतु दुर्भाग्य का विषय है कि सरकार ने कोई अमल नहीं किया। सूचना के अधिकार में चाही गई जानकारी में सरकार के पास कोई जवाब नहीं होने पर राज्य सूचना आयोग में दस्तक दी गई।जिसके फलस्वरूप ज्ञापन की एक मांग का जवाब 2 साल बाद प्राप्त हुआ है जिसको देखकर यह अहसास होता है कि शिवराज सरकार पत्रकार हित में कोई कार्य करना ही नहीं चाहती।

 

संगठन द्वारा शिवराज सरकार से मांग की गई थी कि “पत्रकारों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शासकीय, अशासकीय या अनुदान प्राप्त अस्पतालों में आरक्षण एवं सुविधायें उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए” करीब 2 साल के लंबे अंतराल के बाद सरकार के संचालनालय स्वास्थ्य सेवायें सतपुड़ा भवन, भोपाल, मध्यप्रदेश,सयुक्त संचालक (विनियमन) संचालनालय स्वास्थ्य सेवायें मध्यप्रदेश ने अपने पत्रों के माध्यम से अवगत कराया कि प्रदेश के समस्त निजी अस्पतालों को म.प्र. उपचयगृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएँ (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 एवं नियमों के अंतर्गत विनियमित किया जाता है। उक्त नियम में पत्रकारों को अस्पताल में सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु किसी भी प्रकार का आरक्षण प्रदान करने संबंधी प्रावधान नहीं है। तथा सिविल सेवा चिकित्सा परिचर्या नियम 2022 राज्य शासन के शासकीय सेवक एवं उनके आश्रित सदस्यों पर लागू होता है। पत्रकार उक्त नियम में पात्रता नहीं रखते है। अतः पत्रकारों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति हेतु शासकीय, अशासकीय या अनुदान प्राप्त अस्पतालों में आरक्षण की सुविधा लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण द्वारा प्रदान नहीं की जा सकती है।

 

संगठन के संस्थापक अध्यक्ष सैयद खालिद कैस ने शिवराज सरकार पर हमला बोलते हुए कहा जो सरकार केवल जानकारी जुटाने में 2साल गुजार देती है उससे पत्रकारों के हितों के लिए उम्मीद नहीं की जा सकती है। पत्रकारों को लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ का प्रहरी कहने वाले शिवराज मामा की सरकार ने 18साल में आज तक पत्रकारों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को आज तक पूर्ण नहीं करने वाली सरकार क्या पत्रकारों के स्वास्थ्य के प्रति भी इतनी उदासीनता लाएगी इसकी कल्पना नहीं थी। चुनावी वर्ष में शिवराज मामा फिर घोषणाएं करते फिर रहे हैं लेकिन उनकी छवि को चमकाने वाला पत्रकार समाज अभी भी ठगा महसूस कर रहा है। मध्यप्रदेश में गरीबी रेखा, आयुष्मान योजना का लाभ उठाकर स्वास्थ्य संबंधी उपचार प्राप्त करने वाले तबके की भांति यदि पत्रकारों को आयुष्मान योजना का लाभ सरकार दे देती तो उसके बजट पर फर्क नही पड़ता।आयुष्मान सेवा के नाम पर अरबों के घोटाले दबाने वाली सरकार को पत्रकार का जीवन, उसका स्वास्थ्य नजर नहीं आता है जो की दुर्भाग्य का विषय है।