विमानतल में प्रस्थान और आगमन जोन की भांति, समय का पहिया!
(नव वर्ष आगमन पर विशेष)

वर्ष 2022 अब स्वर्गलोक प्रस्थान की तैयारी के अंतिम चरण में हैं, और इसलिए मन में बार-बार यह विचार आना स्वाभाविक है कि एक पूरा साल कितनी जल्दी फिर से समाप्त हो गया। जाने क्या-क्या सोचे थे कि खुद में ये सुधार लाएंगे, वो काम करेंगे इत्यादि पर क्या सचमुच कर पाये? बिल्कुल वैसे ही जैसे जब एक नए दिन की शुरूवात होती है तो मन में एक योजना बनी होती है, उसी के अनुसार अनुशासित ढंग से दिनचर्या सेट करनी पड़ती है कि आज क्या-क्या करना है। जब सब कुछ ठीक रहा, तो योजनाबद्ध तरीके से सभी क्रियाकलाप चलता है और जब रात्रि पहर दिन को अलविदा कहते हैं तो मन में एक संतुष्टि का भाव रहता है कि चलो हमारी सारी योजनाओं में ऊपर वाले की मुहर लगी और दिन अच्छा गया और अगर बेफिजूल की बातों में वक्त बर्बाद हो जाता है और सभी प्लानिंग फेल हो जाती है तो ज़रा अफ़सोस होता है कि दिन हाथ से फिसल गया वक़्त का पहिया आगे खिसक गया। 365 दिन का एक पूरा साल भी उसी एक दिन का वृहद् रूप ही तो है। साल शुरू होते है अनगिनत योजनाएं बनती है, अपनी-अपनी दिलचस्पी व जीवन की प्राथमिकताओं के अनुसार गोल सेट करना पड़ता है पर समय बड़ा बलवान है, अगर वक़्त की फ़ितरत हमारे तरफ है और ईश्वर की इच्छा भी रही तो हम अपनी इच्छाओं और सपनों को पूरा कर सकते हैं। कोई हमारा बाल भी बांका नहीं कर सकता। लेकिन कहीं वक्त ने ख़राब रुख अपना लिया फिर चाहे कुछ भी कर लो, वो हमें कई ख़तरनाक, विकट, कष्टप्रद परिस्थितियों में धकेल सकता है, कई मुश्किल इम्तिहान देने को मजबूर कर सकता है।

प्रतिदिन बीते हुए दिन का प्रस्थान और ब्रह्म मुहूर्त की पावन बेला में नए दिन का आगमन हमें यह प्रेरणा देता है कि अपने जीवन को सार्थक ढंग से जीने के लिए हम किसी भी दिन एक नयी शुरूआत कर सकते हैं। जीवन में परिवर्तन शाश्वत सत्य है, वक़्त एक सा नहीं होता बदलता ही है। ज़िन्दगी में वक्त के वक्त के लघु अंश यानि एक-एक दिन या दीर्घ अंश याने पूरा एक वर्ष के बीतने और नए दिन/साल के आने को किसी विमान तल में प्रस्थान और आगमन जोन की भांति समझा जा सकता है। प्रकृति में भी समय का चक्र वैसा ही है। एक-एक दिन चला जाता है और नया दिन नयी उम्मीदें लेकर आता है। जब बीते दिन का प्रस्थान होता है उस वक्त अगर हम दिन भर में क्या-क्या हुआ उस पर गौर फरमाएं तो पता चलता है हमने कहाँ कितना वक़्त दिया। समय की कीमत समझते हुए उसका सही इस्तेमाल किये या नहीं। दिन में क्या भूल-चूक हुई, किन दुर्गुणों, आदतों को उस दिन के साथ तिलांजलि देना है, किन सदगुणों, सदविचारों को आत्मसात करना है, ये सारी बातें जीवन उन्नयन के लिए बेहद अहम है। अभी पुराने साल का बैगेज तैयार हो रहा है, आइये सभी नकारात्मक विचारों व प्रवृत्तियों जैसे अहंकार, लालच, क्रोध, पूर्वाग्रह, प्रतिशोध, ईर्ष्या, घृणा, अत्यधिक चिंता, निराशा को विदा करें और नए साल का बैगेज जैसे ही उतरे और कन्वेयर से घूमते हुए आपके पास पहुँचे तुरंत लपक लें जो एक बार फिर से नयी आशाओं के साथ प्रेम, शांति, मित्रता, मानवता, धैर्य, विनम्रता, अचछाई, ईमानदारी जैसे सद्गुणों को भर-भर लाते हैं लेकिन हम अपनी मूढ़ता के कारण उन्हें ग्रहण ही नहीं करते या उनकी क़द्र ही नहीं करते और इसलिए तकलीफ पाते हैं फिर किस्मत को, विधाता को दोष देते हैं।

शशि दीप ©✍
विचारक/ द्विभाषी लेखिका
मुंबई
shashidip2001@gmail.com