छतरपुर जिले चोर आनंदमय

– पीड़ित दुखी और सुखी चोर यानि चोर मस्त और पुलिस पस्त

(पिछले 10 माह में 556 चोरियो में 2 करोड़ 77 लाख 8 हजार 299 रूपये के माल की चोरी। पुलिस की नाकामी की दास्तां कि बरामदगी 1 करोड़ 33 लाख 36 हजार 986 रूपये मशरुका यानि माल की।)

 

(खेमराज चौरसिया/ धीरज चतुर्वेदी, छतरपुर बुंदेलखंड)

मध्यप्रदेश में कहा तो जाता है कि गुलज़ार है यानि राम राज है पर जमीनी हकीकत है कि चोरो के लिये गुलज़ार यानि अच्छे दिन चल रहे है। दुखी वह है जो चोरो का निशाना बन अपनी जमा कमाई लुटाकर आंसू बहा रहा है। पुलिस अपने चोखे धंधे हेलमेट जैसे अभियान पर अपनी पूरी ताकत झोंक कागजो में नंबर बढ़ाने में व्यस्त है, क्योंकि सरकार तो इन्ही नंबरो पर ग्रेडिंग कर आल इज़ वेल का गीत गाती है। अधिकारियो को दौड़ते कागजी घोड़ो पर सम्मान मिल जाता है लेकिन जमीनी हकीकत में उन चोरी की वारदात रोकने में अक्षम, लाचार है जिसका सीधा सरोकार उस पीड़ित है जिसने पाई पाई जोड़ अपने भविष्य के संजोये सपनो के लिये धन जोड़ा था और चोरो का शिकार हो गया। मुख्यमंत्री जी अपनी बांहे फैलाकार भाषणों में तालियां बटोरते हो पर कानूनी व्यवस्था के चीथड़े उड़े हुए है। चौकाने वाला आंकड़ा है कि पिछले 10 माह में हॉउस ब्रेक और चोरी कि छतरपुर जिले में 556 घटनाये पुलिस रोजनामचा में दर्ज हुई है। इनमे चोरी की वह वारदात शामिल नहीं है जिनमे चोरी होने के बाद भी पुलिस ने किसी तरह का मुकदमा दर्ज नहीं किया। चोर मस्त और पुलिस पस्त का नारा यूँही नहीं है बल्कि पुलिस की नाकामी के आंकड़े है जो दर्शाते है कि पिछले 10 माह में 2 करोड़ 77 लाख 8 हजार 299 रूपये का मशरुका यानि माल चोरी हुआ और पुलिस 1 करोड़ 43 लाख 71 हजार 313 रूपये मशरुका ही बरामद कर सकी।

छतरपुर जिले में पुलिस की निष्क्रियता बदनाम हो चुकी है। अपराधियों और चोरो की मस्ती चल रही है और पुलिस अपने कामों में मस्त है। नेशनल रिकॉर्ड क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों को झूठा साबित नहीं किया जा सकता जो दर्शाते है कि वर्ष 2022 में जनवरी से अक्टूबर के बीच 556 चोरी की वारदात घटित हुई। जिसमे हॉउस ब्रेक कर 178 और 378 अन्य चोरी की घटनाये हुई। अगर चोरी गये सामान की मोल में तुलना की जाये तो इन 10 माह में 2 करोड़ 77 लाख 8 हजार 299 रूपये का सामान यानि माल यानि मशरुका चोरी हुआ वहीं पुलिस की असफलता के आंकड़े है कि 1 करोड़ 33 लाख 36 हज़ार 986 रूपये का सामान ही जप्त हुआ। चोर पुलिस की आँख मिचोली में चोर क्यों पुलिस पर हावी है यह कारण पुलिस के जिम्मेदार आला अधिकारियो को मंथन करना पढ़ेगा। हेलमेट जैसे अन्य अभियानो को सफल दर्शाने के लिये पूरा पुलिस अमला झोंक दिया जाता है। पुलिस विभाग का कर्मी और अधीनस्थ अधिकारी भी इंसानी जीव है। जब उसे दिन भर इन अभियानो में जुटा दिया जायेगा तो रात्रि की गश्त प्रभावित होंगी। मुख्य है कि पुलिस का ख़ुफ़िया तंत्र पूरी तरह नाकाम हो चुका है। एक समय मोहल्ला समितियां पुलिस का सहयोग कर अपने मोहल्ले की निगरानी किया करती थी। अपराधों ख़ासकर चोरी की घटनाओ को रोकने में यह मोहल्ला समितियां कारगर थी पर यह सभी कवायदे ठंडे बस्ते में है। यही कारण है कि पुलिस के बेढंग ढंग आम जन की नींद उड़ाये है। चोरो का आतंक राज क़ायम है।