सिंधिया परिवार के क्लब पर पुलिस का छापा

ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं क्लब के संरक्षक

क्या सिंधिया के संरक्षण में फलफूल रहा है जुआ-सट्टे का कारोबार?

विजया पाठक

कहते हैं, जब संगति खराब हो तो व्यक्ति अपनी प्रतिष्ठा को खो बैठता है। ऐसा ही कुछ अब ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ घटित हो रहा है। पहले तो लालच में सरकार गिरा दी, जिसके लिए धनबल, बाहुबल से लबरेज उचक्‍कों को अपने साथ जोड़ दिया। उसी का परिणाम है कि ग्वालियर में सिंधिया परिवार द्वारा स्थापित जीवाजी क्लब में सवा सौ साल के इतिहास में पहली बार पुलिस का छापा पड़ा। बीती रात पुलिस द्वारा डाली गई रेड और वहां से जुआरियों की गिरफतारी से अंचल के धनाढ्य और व्यवसायी वर्ग हतप्रभ है। इस क्ल़ब में पहली बार पुलिस ने इस तरह की छापामारी की है। अब चर्चा का विषय है कि सिर्फ ये है कि यह कार्रवाई किसके इशारे पर की गई और इसकी वजह क्या है? छापेमारी में क्लब के एक कमरे में जुआ का अड्डा पकड़ा गया। ग्वालियर एसएसपी अमित सांघी के निर्देश पर क्राइम ब्रांच ने क्लब में घुसकर 11 लोगों को जुआ खेलते रंगे हाथ गिरफ्तार किया। पुलिस की इस कार्रवाई से इस प्रतिष्ठित क्लब की छवि तार तार हो गई है।

दुनिया के 100 बेहतरीन क्लबों में गिना जाता है क्‍लब

गौरतलब है कि इस क्लब की स्थापना 1898 में सिंधिया परिवार ने की थी। मप्र के आईएएस, आईपीएस अफसर रामलाल वर्मा, बीबीएस चौहान, प्रमोद शर्मा, ओपी राठौर, एसपी सिंह, प्रशांत मेहता, रामनिवास यादव, एनके त्रिपाठी व पीड़ी मीना इस क्लब के अध्यक्ष रहे हैं। वर्तमान में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इस क्लब के संरक्षक हैं। इस क्लब को दुनिया के 100 बेहतरीन क्लब में गिना जाता है। इस क्लब पर पुलिस कभी छापा मारेगी, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।

क्लब पर सिंधिया समर्थक का है कब्जा

जीवाजी क्लब पर वर्षों तक सिंधिया राज परिवार से जुड़े समर्थकों का ही कब्जा रहता आया है। लेकिन बीच के दो दशक में इस पर बीजेपी के लोग काबिज हो गए। गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के समर्थक राजू कुकरेजा का यहां एकछत्र राज रहा। लेकिन पिछले चुनाव में अध्यक्ष पद पर संग्राम कदम बन गए। कुछ लोग इस छापे को इस उठापटक से जोड़कर भी देख रहे हैं। जीवाजी क्लब में पुलिस की एंट्री होगी या इस बात की किसी को भी आशंका नहीं थी। इसकी वजह यह थी कि एक तो इस पर सिं‍धिया परिवार की छत्रछाया रहती थी। स्वयं ज्योतिरादित्य सिंधिया ही नहीं उनके पुत्र महाआर्यमन सिंधिया भी कार्यक्रमों के बहाने इसमें आते जाते रहते हैं। इसके अलावा बड़े बड़े आईएएस, आईपीएस अधिकारी भी यहां आते जाते रहते हैं। और इसके बहाने अपने काम निकलवाते रहते हैं। पुलिस और असामाजिक तत्वों के प्रकोप से बचाने के लिए क्लतब के कर्ताधर्ताओं ने सुरक्षा कवच के रूप में यह व्यवस्था कर रखी थी कि क्लब में एक चेयरमैन का पद सृजित कर रखा था जिस पर संभाग में पदस्थल सीनियर आईएएस या आईपीएस को बिठा देते थे।

क्या चैम्बर के पदाधिकारियों ने ही रेड करवाई?

चर्चा ये भी है कि क्लब में पुलिस बुलाने के पीछे चेम्बर के पदाधिकारियों का ही हाथ है। इस समय क्लब में असामाजिक तत्वों का आना जाना है जो लड़ते झगड़ते है जिससे क्लब के सदस्यों ने सपरिवार तो वहां जाना ही छोड़ दिया है। क्लब में कार्ड हाउस है जहां ताश खेलने की व्यवस्था है। हालांकि होता तो वहां भी जुआ ही है लेकिन कुछ बाहुबली जबरन कमरों का ताला खुलवाकर उनमें जुआ खिलवाते हैं। जिससे पदाधिकारी भी परेशान हैं।

सिंधिया और सिंधिया समर्थक नेताओं का गैर कानूनी कामों में कनेक्शन

वैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक नेताओं का गैर कानूनी कामों में कनेक्शन ज्यादा ही रहता है। स्‍वयं सिंधिया ने गैर कानूनी कामों का साम्राज्‍य खड़ा किया है। शासकीय जमीनों को गैरकानूनी तरीके से हड़पना इनका मुख्‍य पेशा है। साथ ही मंदिर, ट्रस्‍टों की जमीनों को अपने ट्रस्‍टों के नाम करवाना इनका प्रमुख काम है। सूत्रों के अनुसार ग्‍वालियर में और इसके आसपास सैकड़ों एकड़ शासकीय जमीन को हड़प कर सिंधिया ने अपने परिवार के ट्रस्‍टों के नाम पर करवा लिया है। अब इस छापेमारी के बाद लगने लगा है कि वह जुआ सटटा का कारोबार भी संचालित करवाने लगे है। इसके अलावा इनके समर्थक नेता भी गैर कानूनी कामों में सिंधिया से कम नही हैं। कोई जुआ सटटा खिलवाता है तो कोई जमीनों पर कब्जा करता है। ऐसा ही एक नाम सिंधिया समर्थक जसपाल सिंह जज्जी का है। 2018 के विधानसभा चुनाव में जज्जी से हारे भाजपा नेता लड्डूराम कोरी ने जज्जी के जाति प्रमाण पत्र को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोरी का आरोप था कि पंजाब में कीर जाति को अनुसूचित जाति का आरक्षण मिलता है लेकिन मध्यप्रदेश में इस जाति को अनुसूचित जाति के तहत मिलने वाले आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है। भाजपा के विधायक जजपाल सिंह ने यही अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र उपचुनाव में भी लगाया था। चुनाव आयोग के अधिवक्ता संगम जैन ने लड्डूराम कोरी की याचिका के साथ जज्जी के जाति प्रमाण पत्रों को भी सुनवाई के दौरान संलग्न किया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव लड़ने वाले जज्जी का चुनाव अब खुद-ब-खुद शून्य हो गया है।