करुणा प्रजापति को मिला ‘शौर्य कथाकर रत्न ‘सम्मान

भावों का भव्य आलोक है , करूणा की लिखी रचनाये

 अनेक सम्मानों व पुरस्कारों से नवाज़ी जा चुकी है करुणा

-झांसी (उ. प्र.)में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में इंदौर निवासी करुणा प्रजापति को शौर्य कथाकर रत्न सम्मान मिला |

मुंबई की राष्ट्रीय व सामाजिक संस्था द्वारा भारत भूषण सम्मान की घोषणा भी की गई |

 

इंदौर -सहज़ विश्वसनीय नहीं होता कि इंदौर निवासी साधारण परिवार में जन्म लेने वाली करुणा प्रजापति एक दिन सफलता की नई ऊंचाइयों को छू लेगी ।

जीवन भी युग की विभूति है और मरण भी, वे धन्य है जिनके जीवन और मरण दोनों भी युग की विभूति बन जाते हैं ।

इंदौर निवासी करुणा प्रजापति ने अपने जीवन काल में राज्य स्तरीय वाद -विवाद प्रतियोगिता में अनेक पुरस्कार जीते, गायन के क्षेत्र में, नृत्य, अभिनय के क्षेत्र में मंच संचालन के क्षेत्र में अनेक पुरस्कार जीते हैं

साहित्य के क्षेत्र में ऑनलाइन पितृ दिवस पर आयोजित दो काव्य प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया

शुभ संकल्प समूह की काव्य लेखन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान

वामा साहित्य मंच की नारा लेखन प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार

दो राष्ट्रीय लघुकथा प्रतियोगिताओं में प्रोत्साहन पुरस्कार प्राप्त किये, निबंध लेखन प्रतियोगिताओं में अनेक पुरस्कार प्राप्त |

अनेक साझा संकलन में रचनाएँ प्रकाशित

अनेक ऑनलाइन मंच पर रचनाएँ प्रसारित

कईं बड़े आयोजन में सफलतम मंच संचालन

वर्तमान में सरोकार साझा मंच की उपाध्यक्ष, मालव लोक साहित्य व सांस्कृतिक मंच की संयोजक व संचालक |

अनेक प्रतिष्ठित साहित्य मंच की सक्रिय सदस्य |

सरोकार साझा मंच की प्रथम पुस्तक ‘कहे -अनकहे ‘का सफलतम संपादन |एक काव्य संग्रह प्रकाशित |

 

झांसी में आयोजित एक भव्य सम्मान समारोह में करुणा प्रजापति को शौर्य कथाकर रत्न सम्मान से नवाजा गया, जिसकी अध्यक्षता परमवीर चक्र विजेता कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव ने की |

इस कार्यक्रम में देशभर की 21लेखिकाओं को भी शौर्य कथा संग्रह ‘परमवीरों को गाथाएं ‘में परमवीर चक्र विजेताओं के जीवन पर आधारित कहानियाँ लिखने के लिए ‘शौर्य कथा रत्न सम्मान ‘मिला |

इसी तारतम्य में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जी ने सभी सम्मानित कथाकारों को बधाई व शुभकामना सन्देश प्रेषित किया|

करुणा प्रजापति की भावांजलि ने अपनी पुस्तक में जीवन के हर विषय पर अपनी कल्पना का संसार रचा है |

भक्ति को मानो साकार होते अनुभूत किया है, उनकी रचना भावों का भव्य आलोक है जो प्रकृति परिवेश को चिंतन के नेत्रों से एक अभिनव रूप प्रदान करता है |

भविष्य में आपका चिंतन ओर निखरे, प्रकृति के साथ तादातम्य स्थापित करें, यही शुभकामनायें प्रेषित करते हैं |

द फेस ऑफ़ इंडिया एवं अदम्य सामाजिक एवं राष्ट्रीय संस्था इसी उद्देश्य को लेकर चल रही है |

जनक, श्री कृष्ण, गौतम, अशोक और गांधीजी का यह देश कृषि प्रधान नहीं है वस्तुतः ऋषि प्रधान भी है |

अपनी इसी ऋषि परंपरा पर यह युगों की उथल -पुथल व सदियों के उतार चढ़ाव के बाद भी जीवित है और उसकी संस्कृति गिरते पड़ते भी नष्ट नहीं हुई, संसार में अनेक राष्ट्र, अनेक साम्राज्य और अनेक संस्कृतियाँ केवल इतिहास और पुरातत्व की विषय नहीं रह गई है, मेरी रचनाओं में इन सारी चीजों को अभिव्यक्त का रूप दिया है |