बुंदेलखंड की धरोहर आकाशवाणी छतरपुर को दफ़न करने की प्रक्रिया शुरु

– बुंदेली संस्कृति पर प्रहार : तीन ताकतवर सांसद बेज़ुबान 

 

(खेमराज चौरसिया,धीरज चतुर्वेदी, छतरपुर मप्र)

 

“”” केंद्र की उस मोदी सरकार ने बुंदेली संस्कृति की धरोहर को कुचल कर शैया पर लिटाने का कुचक्र रच दिया है जिस रेडियो पर प्रधानमंत्री मोदी मन की बात तो करते है पर इस बुंदेली सभ्यता की पाठशाला के दर्द की बात नहीं सुनना चाहते। “””

 

मन की बात रेडियो पर सुनाने वाले प्रधानमंत्री की सरकार ने क्षेत्रीय संस्कृति का क़त्ल करने का भी मन बना लिया है। पूरे बुंदेलखंड की शान के साथ संस्कृति की आवाज के माध्यम आकाशवाणी छतरपुर को दफ़न करने का सरकारी प्रपंच तैयार कर लिया गया है। यानि छतरपुर जिले के तीन ताकतवर सांसदों को चुनौती है कि क्या वह बुंदेली संस्कृति की धरोहर आकाशवाणी छतरपुर को बचा पायेंगे?

छतरपुर की आन बान शान की विरासत आकाशवाणी छतरपुर पर तालाबंदी होना तय हों चुका है। केंद्र की उस मोदी सरकार ने बुंदेली संस्कृति की धरोहर को कुचल कर शैया पर लिटाने का कुचक्र रच दिया है जिस रेडियो पर प्रधानमंत्री मोदी मन की बात तो करते है पर इस बुंदेली सभ्यता की पाठशाला के दर्द की बात नहीं सुनना चाहते। आगामी एक मई से प्रधानमंत्री की मन के साथ क्षेत्रीय मन की बात सुनाने वाला रेडियो बदला नज़र आयेगा। आकाशवाणी छतरपुर में प्रतिदिन युववाणी , नारी जगत, ग्राम सभा सहित कई कार्यक्रम विलुप्त हों जायेंगे। यानि बुंदेली सभ्यता को खत्म करने की शुरुआत हों चुकी है।

7 अगस्त 1976 को 46 साल पहले कार्यक्रमों की विविध सरगम के साथ छतरपुर आकाशवाणी की स्थापना हुई थी। याद करें जब यहाँ की सांसद विद्यावती चतुर्वेदी थी। जिनके प्रयास से तब के पिछड़े इस क्षेत्र को उचाईयो की नई सौगात मिली थी। आकाशवाणी छतरपुर की स्थापना का ध्येय था बुंदेली संस्कृति को नये सोपान तक पहुंचाने का। यह वह समय था, जब रेडियो ही देश दुनिया की खबरों, मनोरंजन का एकमात्र साधन था। आकाशवाणी छतरपुर ने बुंदेली विधाओं को मंच दिया और बुंदेली गायकी तो पूरे देश में स्थापित हुई। यहाँ का साहित्य, काव्य और संस्कृति की कई विधाये पिछले 46 साल से संवारता और संजोता रहा है। चार साल बाद जिस आकाशवाणी छतरपुर की स्थापना की गोल्ड़न जुबली मनाने की तैयारी होना चाहिये उसे ठीक उसी तरह मारा जा रहा है जैसे कलयुगी बेटे अपने बुजुर्ग को मोहताज कर उन्हें मार देते है। उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश सहित ऑनलाइन ऐप्प के माध्यम से पूरा देश आकाशवाणी छतरपुर से जुडा है। देश के कई हिस्सों से विभिन्न प्रसारित कार्यक्रमो में आने वाले पत्र इस आकाशवाणी की ताकत है। आकाशवाणी छतरपुर से प्रसारित ग्राम सभा में बुंदेलखंड की ग्रामीण सभ्यता का समावेश है। युववाणी हजारों युवाओं की धड़कन है तो नारी जगत कार्यक्रम नारी सशक्तिकरण का मंच है। एक मई के बाद इन बुंदेली भावनाओं और उसकी पाठशाला, उसके मंच को केंद्र सरकार के आदेशों का मदमस्त हाथी कुचल देगा। आकाशवाणी छतरपुर से कई लोगो का रोजगार भी जुडा है जिन्हे बेरोजगार कर घर बैठा दिया जायेगा। जानकारी के मुताबिक आकाशवाणी छतरपुर से प्रसारित विभिन्न कार्यक्रमों में आकस्मिक उद्घोषक के रूप में 34, ग्राम सभा कैंपेयर्स में 19, नारीजगत में 11, युववाणी में 14 और वसुंधरा व बालमेला को प्रस्तुत करने वाले दो-दो कमपेयर्स कार्यरत है। जिसमे 9 लोग पूर्व से अन्य शासकीय विभागों में कार्यरत है। कुल 82 कमपेयर्स उद्घोषको में से पूर्व से शासकीय कार्यरत 9 लोगो को हटा दिया जाये तो 73 कार्यरत उद्घोषक व कमपेयर्स को रोजगार विहीन कर दिया जायेगा।

प्रसार भारती के नये आदेशों के अनुसार आगामी एक मई से युववाणी, नारीजगत और ग्राम सभा जैसे कार्यक्रम हफ्ता में एक दिन शुक्रवार को प्रसारित होंगे। छतरपुर आकाशवाणी से प्रसारित दोपहर की सभा को रोक दिया गया है। इस तरह के आदेश साफ संकेत दें रहे है कि जिस आकाशवाणी छतरपुर की स्थापना का उदेश्य बुंदेली संस्कृति को मुकाम देना था उसे अब मार दिया जायेगा जिसकी शुरुआत हों चुकी है। दुखद है कि छतरपुर जिले का प्रतिनिधित्व तीन सांसद करते है जो तीनो ही ताकतवर है। टीकमगढ़ से वीरेंद्र खटीक और दमोह से प्रहलाद पटेल केंद्र सरकार में मंत्री है वहीं खजुराहो से सांसद वीड़ी शर्मा मप्र बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष है। जनता के तीन ताकतवर सेनापतियों के बाद भी आकाशवाणी छतरपुर के वजूद, अस्तित्व पर चोट पहुंचाई जा रही है और वह खामोश है जिन्हे जनता ने उम्मीद के साथ चुना था। बुंदेली संस्कृति को सवारने सजोने वाले मंच को मौत के घाट उतारने की तैयारी उस एक मई से होंगी जिस दिन मजदूर दिवस है।