बिरसा मुंडा की जयंती तो बहाना है, आदिवासी सीटों और वोटर को लुभाना है 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में कांग्रेस – भाजपा मध्यप्रदेश

जबलपुर/ आज अमर शहीद बिरसा मुंडा की जयंती है. उनकी जयंती को जन जातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. इसी के बहाने आज मध्य प्रदेश में दोनों प्रमुख राजनीतिक दल बीजेपी और कांग्रेस आदिवासियों को लुभाने के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं. भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदिवासियों की बड़ी रैली संबोधित कर रहे हैं वहीं जबलपुर में कांग्रेस भी बिरसा मुंडा जयंती पर सम्मेलन करके आदिवासी वोट बैंक को साधने की जुगत में है।
मध्य प्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव हैं. यानि अब से ठीक दो साल बाद. लेकिन तैयारी शुरू हो गयी है. जन जातीय गौरव दिवस के बहाने 15 नवंबर को मध्य प्रदेश में दोनों प्रमुख राजनीतिक दल बीजेपी और कांग्रेस आदिवासी वोट बैंक को लेकर जोर आजमाइश कर रहे हैं. भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जबलपुर में कांग्रेस के कार्यक्रम में दोनों पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह शिरकत कर रहे हैं।
2023 पर सबकी नज़र
मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित हैं. प्रदेश में करीब 22 परसेंट वोट आदिवासियों के हैं. पिछले कई चुनावों से आदिवासी समुदाय मध्य प्रदेश की राजनीति के केंद्र में रहा है. 2003 में दिग्विजय सिंह के खिलाफ बीजेपी की जीत में आदिवासी समुदाय की बड़ी भूमिका रही थी. आदिवासियों का कांग्रेस से मोहभंग होना पार्टी की हार का बड़ा कारण रहा. उस वक्त गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने न केवल 6 विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी, बल्कि आदिवासी सीटों पर कांग्रेस के वोट भी काटे थे।
कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक BJP में गया
कांग्रेस से छिटकने के बाद आदिवासी वोट 2013 तक के चुनाव में बीजेपी के साथ बना रहा. इस चुनाव में बीजेपी को 31 सीटें मिली थीं, वहीं कांग्रेस को 16 सीट पर संतोष करना पड़ा था. लेकिन 2018 का चुनाव कांग्रेस के लिए फिर बड़ी राहत लेकर आया. उसका परंपरागत आदिवासी वोटर उसके पास लौट आया. चुनाव में कांग्रेस का भाग्य बदलने की बड़ी वजह आदिवासी समुदाय के वोट थे. इस चुनाव में उनका बीजेपी से मोह भंग हो गया. इस बार का नतीजा 2013 से बिलकुल उलट था. कांग्रेस के खाते में आदिवासी समुदाय की 31 सीटें आ गयीं वहीं 16 सीटें बीजेपी को मिलीं।
बीजेपी की चिंता की वजह
आदिवासियों के कारण ही 2018 में 15 साल बाद बीजेपी को सत्ता गंवानी पड़ी थी. बस यही उसकी चिंता की बड़ी वजह है. जोबट का उपचुनाव जीतने के बाद वर्तमान में बीजेपी के खाते में आदिवासी सीटों की संख्या 16 से बढ़कर 17 हो चुकी है. इसी वोट बैंक को अपने पक्ष में लाने के लिए बीजेपी ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही है।
अमित शाह आए थे जबलपुर
हाल ही में जबलपुर में गृह मंत्री अमित शाह आदिवासी जननायकों कुंवर रघुनाथ शाह-शंकर शाह जयंती पर जबलपुर में हुए कार्यक्रम में शामिल हुए थे. उसी दिन कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी कुंवर रघुनाथ शाह-शंकर शाह के बलिदान स्थल पर कार्यक्रम करने पहुंचे थे. अब बिरसा मुंडा जयंती पर भोपाल में जनजाति गौरव दिवस मनाया जा रहा है तो इसी को काउंटर करने के लिए कांग्रेस जबलपुर में बिरसा मुंडा की जयंती पर आदिवासी सम्मेलन किया. इसकी वजह ये है कि जबलपुर संभाग का बड़ा इलाका आदिवासी बहुल है. जबलपुर में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह बिरसा मुंडा की जयंती कार्यक्रम में शामिल हुए. इसके पीछे नजर 2023 का विधानसभा चुनाव और आदिवासी वोट बैंक पर है।