सरकार ने बीएमएचआरसी में कुछ नहीं किया
अब हाईकोर्ट के कारण गैस पीड़ित
कैंसर रोगियों को एम्स में मिलेगा इलाज

केंद्र एवं राज्य सरकार का उदासीन रुख रहने के बाद हाईकोर्ट ने संवेदनशीलता दिखाई। हाईकोर्ट ने एक बड़ा आदेश शनिवार को सुनाया। इसके तहत राजधानी के करीब 20 हजार गैस पीड़ित कैंसर रोगियों को अब एम्स भोपाल में मुफ्त में इलाज मिलेगा। ऐसा पहली बार होगा। यह हुक्मनामा चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने शनिवार को दिया है। इस आदेश से गैस पीड़ितों को काफी राहत मिली हैं। इनमें से कई की आर्थिक दशा अच्छी नहीं हैं। उन्हें अब इलाज के लिए यहां-वहां परेशान नहीं होना पड़ेगा। शुक्रगुजार है हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच के। उसने कैंसर रोगी गैस पीड़ितों के गम, दुख, दर्द, तकलीफ को समझा। साथ ही तारीफ की हकदार मॉनीटरिंग कमेटी हैं। उसने हाईकोर्ट में एक रिपोर्ट पेश करके बताया कि गैस पीड़ित कैंसर रोगियों को बीएमएचआरसी में इलाज नहीं मिल रहा है। वे इसके लिए काफी परेशान हो रहे हैं। जबलपुर हाईकोर्ट में पेश कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि वहां कैंसर रोगियों के इलाज की सुविधा भी नहीं हैं।
अब ये भी जान लीजिए। इस मुद्दे को शुरू से भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन उठाता रहा है। उसी की याचिका पर शनिवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। यद्यपि याचिका में कहा गया है कि भोपाल गैस पीड़ितों के इलाज के लिए बीएमएचआरसी बनाया गया है, लेकिन 85 एकड़ में फैले बीएमएचआरसी में चिकित्सीय सुविधाओं और जरुरी संसाधनों का अभाव है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ और अधिवक्ता राजेश चंद ने तर्क दिया कि गैस पीड़ितों के इलाज के लिए बीएमएचआरसी में डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और जरुरी संसाधनों की व्यवस्था भी नहीं है, यह की जानी चाहिए। मामले में मॉनीटरिंग कमेटी की ओर से 17वीं रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। रिपोर्ट में उल्लेख है कि बीएमएचआरसी में कैंसर के इलाज की सुविधा नहीं है। दरअसल 200 करोड़ के बीएमएचआरसी में पिछले तीन-चार साल से सुपर स्पेशलिस्ट, स्पेशलिस्ट समेत अन्य चिकित्सीय प्रबंध नहीं होने से गैस पीड़ित कैंसर रोगियों का चुनिंदा निजी अस्पतालों में सरकारी खर्च पर इलाज कराया जा रहा था।
हुजूर आप ये भी जान लीजिए। यूका प्रॉपर्टी बेचकर बने बीएमएचआरसी की हालत बद से बदतर है। यहां न तो डॉक्टर हैं न ही मरीजों के लिए कोई सुविधा। आलम यह कि यहां मरीजों को न तो इलाज मिल रहा है और न ही दवाएं। लापरवाही का आलम यहीं खत्म नहीं होता, जिन अफसरों को अस्पताल का सिस्टम बनाने की जिम्मेदारी दी गई है, वो मोटी तनख्वाह पाने के बाद भी ध्यान हीं नहीं दे रहे हैं। अस्पताल की डायरेक्टर के पास तो मरीजों और उनके परिजनों से मिलने तक का समय नहीं है। मरीज के परिजन जब उनके पास समस्या लेकर जाते हैं तो यहां का स्टाफ डायरेक्टर के मीटिंग में व्यस्त होने का हवाला देकर उन्हें चलता कर देता है। ज्यादा समस्या होने पर डायरेक्टर ऑफिस का स्टॉफ मरीजों के परिजनों को जनसंपर्क विभाग के पीआरओ रितेश पुरोहित, कीर्ति चतुर्वेदी और सीपीआरओ मजहरउल्ला के पास भेज देते हैं। यहां पर जब समस्या के समाधान के बारे में पूछताछ की जाती है तो जवाब मिलता है कि हम कोई जानकारी देने के लिए अधिकृत नहीं हैं। जबकि जनसंपर्क अधिकारी के नाते उनका दायित्व है कि मरीजों की समस्याएं सुनें और समाधान कराएं। ऐसे जनसंपर्क अधिकारियों के बारे में शासन को विचार करना चाहिए। जिस पद के लिए इनका चयन हुआ है, उसकी पात्रता का परीक्षण किया जाना आवश्यक है। साथ ही इनकी सेवाएं लिए जाने के बाद से आज तक इनका इनपुट क्या रहा है, इसकी भी जांच होनी चाहिए क्योंकि मुफ्त में तनख्वाह लेकर ये गैस पीड़ितों के लिए बने बीएमएचआरसी के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई खिलवाड़ तो नहीं कर रहे। वैसे तीन पीआरओ के पद की यहां क्या जरुरत है…..? इस पर भी केंद्र सरकार को विचार करना चाहिए। कहीं ये जनता के धन की बर्बादी तो नहीं हैं……..? हालांकि आशय आरोप का नहीं है। न ही कोई निजी खुनस का मामला है। सवाल सिस्टम से हैं। सिस्टम के जवाबदेह को हर बिंदु को देखना होगा।
दूसरी ओर भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने गत फरवरी में लोकसभा में भोपाल गैस पीडि़तों के लिए संचालित भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर में विशेषज्ञों की कमी का मुद्दा उठाया है। उनकी ये पहल स्वागत योग्य हैं। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री से अस्पताल में रिक्त पदों पर विशेषज्ञों की जल्द भर्ती करवाने का अनुरोध किया, ताकि पीडि़तों को उचित चिकित्सा मिल सके। लेकिन हुआ कुछ नहीं। ऐसी अमानवीयता की उम्मीद तो नहीं है। हम आभारी हैं, साध्वी प्रज्ञाजी के। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि भोपाल में दिसम्बर 1984 में यूनियन कार्बाइड गैस कांड हुआ था। जिसमें हजारों लोगों की मौत हुई थी और लाखों लोग इस त्रासदी से प्रभावित हुए थे। गैस कांड से कई पीढ़ी प्रभावित हुई और आज भी कई लोग उसका दंश झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि गैस पीड़ितों के उपचार के लिए केन्द्र द्वारा संचालित बीएमएचआरसी सुपर स्पेशियलिटी वाला 350 बिस्तरों का अस्पताल खोला गया था। शुरूआत में यहां चिकित्सा व्यवथा ठीक ठाक रही लेकिन पिछले कई वर्षों से यहां विभिन्न विभागों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की अत्यधिक कमी के कारण कई विभाग बंद हैं, जिनमें गैस्ट्रोमेडिसिन, गुर्दा रोग विभाग, न्यूरोलॉजी और मनोचिकित्सा विभाग में आज भी पद रिक्त है। विशेषज्ञों की कमी के चलते मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है और उनकी जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है।सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने लोकसभा में अध्यक्ष के माध्यम से स्वास्थ्य मंत्री से आग्रह करते हुए कहा कि बीएमएचआरसी में खाली विभागों में विशेषज्ञों की पूर्ति की जाय जिससे गैस पीडि़तों को उचित उपचार मिल सके। गौरतलब है कि बीएमएचआरसी गैस पीडि़तों के लिए बनाया गया भोपाल का सबसे बड़ा अस्पताल है। लेकिन यहां इलाज के लिए मरीजों को रोजाना परेशान होना पड़ रहा है। विशेषज्ञ डॉक्टरों के अभाव के चलते पीडि़तों को इलाज के लिए प्राइवेट अस्पताल में जाना पड़ता है। सबसे बदतर हालत कैंसर, किडनी, गुर्दा, श्वांस, ह्दय, मधुमेह और नेत्र रोगियों की है। अब स्टॉफ भी तमीज से बात नहीं करता। डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टॉफ को भी संस्कारवान बनाए जाने की जरुरत है ताकि उन तक मरीज के पहुंचने पर वे अपमान का अनुभव न करें। साध्वी प्रज्ञाजी से निवेदन है कि इस संवेदनशील मुद्दे को दोबारा केंद्र सरकार समेत संबंधितों के समक्ष पुन: रखें ताकि बीएमएचआरसी से गैस पीड़ितों को विश्व स्तरीय इलाज मिल सकें।
एम्स प्रबंधन भोपाल को सलाह
अब बड़ी संख्या में गैस पीड़ित कैंसर रोगी एम्स में चिकित्सीय परीक्षण के लिए आएंगे। इसके लिए अलग से विंडो बनाई जानी चाहिए। साथ ही अलग से वार्ड बन जाए तो बढ़िया रहेगा। इसी तरह दवाई का काउंटर भी अलग खोला जाना चाहिए। कैंसर पीड़ित मरीजों की फाइलें भी बीएमएचआरसी से बुलाना भी उचित होगा ताकि इलाज में संदर्भ की समस्या न आए।
शायद दुष्यंत की इन पंक्तियों से दृश्य बदले…
हो गई है पीर पर्वत सी, पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज ये दीवार पर्दों की तरह हिलने लगी, शर्त,
लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।
हर सड़क पर हर गली में, हर नगर, हर गांव में,
हाथ लहराते हुए, हर लाश चलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
अलीम बजमी,  भोपाल
09754304786