भारत के संविधान में अनुच्छेद 19(1)(ए) में प्रत्येक नागरिक को वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान किया गया है। इसके अर्थ में जानने का अधिकारए विचारों की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता का अधिकार अंतरनिहित हैं। जिसका वर्तमान समय मे खुलकर उल्लंघन किया जा रहा है। जिस प्रकार विचारों की अभिव्यक्ति पर अंकुश लगाया जा रहा है वह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए शुभ सन्देश नही है। प्रायः देखने मे आरहा है कि सरकार की नीतियों,व्यवस्थाओं ओर घोषणाओं की हकीकत आमजन को बताने को जहां एक ओर राजद्रोह बताया जा रहा है वहीँ दूसरी ओर पत्रकारों और पत्रकारिता को बंदिशों में रखने का प्रयास या यह कहें षड्यंत्र लगातार किया जा रहा है।
देश में उत्तरप्रदेश को पत्रकारों के साथ घटित घटनाऔं के बाद उसे पत्रकारों की कब्रगाह कहा जाने में अतिश्योक्ति नही होगी। उत्तर प्रदेश के बाद मध्यप्रदेश में भी पत्रकारों का दमन तथा पत्रकारिता का दोहन बढे पैमाने पर देखने में आ रहा है। पुलिस प्रशासन एंव राजनैतिक दलों एंव उनके नेताऔं व कार्यकर्ताऔं के बढते हस्तक्षेप का परिणाम है कि आज का पत्रकार भय व आतंक के बीच जीवन व्यतीत कर रहा है। हत्या हत्या का प्रयास तथा झूठे आपराधिक प्रकरणों के बोझ से हलकान मध्यप्रदेश का पत्रकार विशेषकर गैर अधिमान्य पत्रकार अपने कर्त्तवयों के निर्वाहन में कोई कोताही नही बरत रहा हैं। परन्तू प्रदेश की सरकार का सौतेलापन पीडादायक है।
मध्यप्रदेश के खरगौन में खनन माफिया को बचाने के लिये प्रभारी खनिज अधिकारी द्वारा पत्रकारों के खिलाफ कराई गई झूठी एफआईआर का मामला अभी ठण्डा भी नही हुआ था कि देवास जिले में एक नही दो दो मामले पत्रकार प्रताडना के उजागर हुऐ है। प्राप्त जानकारी अनुसार ताजा मामला देवास का है जहां पर पिछले दिनों कैला देवी चौराहे पर स्थित शराब के अहाते में एक भाजपा नेता के झगड़े का वीडियो वायरल हुआ था। आरोप है की वीडियो वायरल होने के बाद उसी रात भाजपा नेता विजेंद्र राणा कैला देवी चौराहे पर राजा टावर के समीप स्थित एक मीडिया के कार्यालय में घुस गए और वहां पर वाद विवाद कर तोड़फोड़ की। इस दौरान कार्यालय में आईबीसी 24 चैनल के संवाददाता मोहनीश वर्मा भी मौजूद थे। उनके साथ अभद्र व्यवहार किया गया।
मोहनीश ने शुक्रवार को औद्योगिक क्षेत्र थाने में ने मारपीट का प्रकरण भाजपा नेता के खिलाफ दर्ज करवायाए उसके डेढ़ घंटे बाद पुलिस ने पत्रकार के खिलाफ ही मारपीट और एट्रोसिटी एक्ट के तहत उल्टा मुकदमा दर्ज कर दिया। बताया जा रहा है कि मामले में एक विधायक और भाजपा नेताओं के कहने पर पुलिस ने यह प्रकरण पत्रकार पर दर्ज किया है।
इसी प्रकार देवास जिले के ही कांटाफोड़ थाना क्षेत्र में शराब ठेकेदार द्वारा अवैध तरिके से शराब बेचने की खबरें प्रमुखता से प्रकाशित करने से नाराज शराब ठेके के कर्मचारियों द्वारा कवरेज करने गये पत्रकार जितेंद्र पिता दशरथ आस्के निवासी ग्राम गोदनाए तहसील सतवासए जिला देवास पर झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई है तथा पत्रकार व उसके परिवार को अकारण प्रताडित किया गया है। देवास जिले की दोनो घटनाऔं का स्थानीय पत्रकारों द्वारा विरोध दर्ज कराया गया परन्तू हमेशा की भांति अपने नाक कान बंद रखने वाला पुलिस प्रशासन पत्रकार विरोधी नीति का प्रमाण देता पाया गया है।
पत्रकारों के हितों के विपरीत आचरण अपनाने वाली प्रदेश सरकार पत्रकारों की सुरक्षा के प्रति कितनी उदासीन है इसके एक नही दर्जनों प्रमाण है। जहॉं भारत सरकार गृह मंत्रालय दिनॉक 20 अक्टूबर 2017 की एडवायजरी का हवाला देकर अपना दामन बचाती नजर आती है वहीं मध्यप्रदेश सरकार 1986 से लेकर वर्तमान समय तक कई परिपत्र जारी करने का पाखंड कर अपने आप को पत्रकारों का हितेषी बताने का हर संभव प्रयास करता है। परन्तू वास्तविकता की धरा पर मध्यप्रदेश में लोकतंत्र का चौथा स्तम्भं पत्रकारिता इस समय अपने आपको असहाय मेहसूस कर रहा है। बडे कारपोरेट घरानों की चौखट पर दम तोडती पत्रकारिता वर्तमान समय में दुरस्थ एंव ग्रामीण परिवेश के गैर अधिमान्य पत्रकारों के कारण ही जिन्दा है परन्तू उन पर हो रहे अत्याचार उनको दी जाने वाली यातनायें असहनीय है। प्रेस क्लब आफॅ वर्किंग जर्नलिस्ट्स लगातार पत्रकारों की सुरक्षा एंव उनके कल्याण के लिये प्रयासरत् है। संगठन का एक मात्र उददेश्य प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू कराना पत्रकार कल्याण आयोग की स्थापना कराना है। देवास की पत्रकार विरोधी घटना के विरोध में संगठन द्वारापुलिस महानिदेशक सहित महामहिम राज्यपाल सहित मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर प्रदेश में पत्रकारों की खराब स्थिति से अवगत कराते हूए पत्रकार सुरक्षा कानून की मॉग करेगा।
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