भोपाल। भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में आज फिर एक पत्रकार की हत्या का काला अध्याय लिखा गया। उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ में शराब के खिलाफ अभियान में बेहद सक्रिय रहे टीवी चैनल पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव की मौत का मामला सामने आया है। उत्तरप्रदेश में यह कोई पहला मामला नही है। जब पत्रकार को पत्रकारिता की अस्मिता को बचाने के लिये अपने प्राणों की आहूति देनी पड रही हो। रविवार की रात नगर कोतवाली क्षेत्र के सुखपाल नगर के पास सुलभ श्रीवास्तव की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। वह घायल अवस्था में रविवार की रात करीब 10 बजे नगर कोतवाली क्षेत्र के कटरा रोड पर मिले थे। राहगीरों की सूचना पर पुलिस राजकीय मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय ले आई यहां पर चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। करीब 40 वर्षीय सुलभ स्टेशन रोड सहोदर पश्चिम के रहने वाले थे।


मृतक पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव ने एक दिन पहले दिनॉंक 12 जून को ही एडीजी प्रयागराज जोन प्रेम प्रकाश को शिकायती पत्र भेजकर अपनी व अपने परिवार की जान को खतरा बताया था। इसमें बताया था कि पिछले दिनों प्रतापगढ़ जनपद के विभिन्न थाना क्षेत्रों मैं अवैध शराब का जखीरा पकड़े जाने की घटना का कवरेज उन्होंने किया था। इसके बाद 9 जून को न्यूज़ चैनल के डिजिटल प्लेटफार्म पर एक खबर भी चलाई थी। जिसे लेकर कुछ लोगों ने बताया था कि शराब माफिया उस खबर को लेकर उनसे नाराज हैं। पत्र में यह भी बताया गया था कि पिछले 2 दिनों से जब भी वह घर से बाहर निकलते हैं तो ऐसा प्रतीत होता है कि कोई उनका पीछा कर रहा है। ऐसे में उन्हें लगता है कि कुछ शराब माफिया जो उनकी खबर से नाखुश हैं उन्हें या उनके परिवार को नुकसान पहुंचा सकते हैं। उनका परिवार भी डरा.सहमा है। इस संबंध में पुलिस का कोई अधिकारी कुछ नहीं बोल रहा है। परिवार ने जहॉं हत्या का आरोप लगाया था वहीं पहले तो पुलिस मामले को दबाने के उददेश्य से दुर्घटना बताकर पल्ला झाडती नजर आई थी। मामले में सोमवार को हत्या का मामला दर्ज किया गया है। रविवार देर रात के इस मामले पर काफी बवाल होने के बाद प्रतापगढ़ पुलिस ने हत्या का केस दर्ज कर लिया है। पत्रकार ने अपने ऊपर हमले की आशंका जताते हुए एडीजी प्रयागराज जोन को पत्र भी भेजा था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज किया है।
अब सवाल यह उठता है कि मृतक पत्रकार द्वारा जब पूर्व में अपने साथ अनहोनी की आंशंका व्यक्त करके एडीजी को लिखित में अअगत कराया जा चुका था तो पुलिस ने इसे गंभीरतापूर्वक क्यों नही लिया। यदि समय रहते पूलिस द्वारा उक्त शिकायती आवेदन पत्र पर कार्यवाही की गई होती तो आज पत्रकार को अपनी जान गवांना नही पडती।
उत्तर प्रदेश में यह कोई पहला मामला नही है। यहॉं पत्रकारों की हत्या हत्या के प्रयास उनका अपहरण तथा प्रताडना की घटना आम बात है। पुलिस प्रशासन की अपराधियों के साथ साठगॉठ हो या उनको दिया गया संरक्षण हर हाल में पत्रकार को ही नुकसान का सामना करना पडता है।
उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के साथ घटित घटनाऔं/हत्याऔं पर यदि नजर डालें तो हम पायेंगे कि उत्तरप्रदेश पत्रकार जगत के लिये सि कब्रगाह से कम नही बचा। इस घटना से पूर्व इसी उत्तरप्रदेश में बलरामपुर के थाना कोतवाली देहात क्षेत्र के कलवारी गांव में पत्रकार राकेश सिंह समेत दो लोग जिंदा जला कर मार दिया गया था।
पत्रकार राकेश सिंह की हत्या से पूर्व उत्तरप्रदेश में 2010 से 2020 तक मारे गए पत्रकार.
1.विक्रम जोशी गाजियाबाद 22 जुलाई 2020
2.शुभम मणि त्रिपाठी उत्तरप्रदेश 19 जून 2020
3.अनुज गुप्ता; दिल्ली हरिद्वार उत्तरप्रदेश 10 दिसम्बर 2019
4.आशीष महिपाल सहारनपुर उत्तरप्रदेश 16 अगस्त 2019
5.राधेश्याम शर्मा कुशीनगर उत्तरप्रदेश अक्टूबर 2019ए
6.राजेश मित्र गाजीपुर 2017 उत्तरप्रदेश
7.नवीन गुला हिन्दुस्थान अखबार कानपुर उत्तरप्रदेश 30 नवम्बर 2017
8. शैलेंद्र मिश्र उफ मिंटू लखीमपुरखीरी उत्तरप्रदेश जुलाई 2017
9.राजेश श्योराण एनसीआर कलियाणा 21 दिसंबर 2017
10.करुणा मिश्र जनादेश टाइम सुलतानपुर उत्तरप्रदेश 13 फरवरी 2016
11.संजय पाठक फरीदपुर उत्तरप्रदेश 13 अगस्त 2015
12.हेमन्त यादव चंदौली उत्तर प्रदेश 3 अक्टूबर2015
जगेन्द्र सिंह उत्तर प्रदेश शाहजहांपुर जून 2015
13.विजय प्रताप सिंह इंडियन एक्सप्रेसए इलाहाबाद 20 जुलाई 2010
पत्रकार सुरक्षा एंव कल्याण के लिये प्रतिबद्ध अखिल भारतीय संगठन प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के अध्यक्ष सैयद खालिद कैस ने उत्तर प्रदेश में पत्रकारों की हत्या व हत्या के प्रयासों पर चिन्ता जताते हूए उत्तर प्रदेश को पत्रकारों की कब्रगाह निरूपित करते हूए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पत्रकार सुरक्षा एंव कल्याण की ओर भी ध्यान देने की मॉग के साथ दिवंगत पत्रकार को श्रद्धांजलि अर्पित की तथा दोषियों को कठोर दण्ड की मॉंग की।