67 बेगुनाहों के जिम्मेदार गोविंद सिंह राजपूत को कैबिनेट से बेदखल क्यों नहीं करते मुख्यमंत्री?
राजपूत की असंवेदनशीलता देखिए मृतकों के परिजनों को सांत्वना देने के बजाय चाय पार्टी में ठहाके लगा रहे है
सिर्फ जांच के आदेश देने और मुआवजा राशि की घोषणा से मृतक वापस लौट आते है क्या राजपूत जी?
विजया पाठक:16 फरवरी को सीधी के पटना गांव के पास नहर में गिरने से जान गवां बैठे 54 लोगों की चिंता की लपट ठीक से बुझी भी नहीं थी, कि मंगलवार सुबह ग्वालियर के छावनी आनंदपुर ट्रस्ट के सामने हुए बस-ऑटो भीषण भिड़ंत में 13 लोग फिर अपनी जान गवां बैठे। एक तरफ जहां एक्सीडेंट में अपनों को खो चुके लोगों का हाल बेहाल है वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत इन लोगों के दुखों से अंजान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की चाय पार्टी में ठहाके मारते दिखाई दिए। मुख्यमंत्री ने अपने चौथे कार्यकाल के एक वर्ष पूरे होने के अवसर पर राजधानी में चाय पार्टी रखी थी जहां गोविंद सिंह राजपूत मुख्यमंत्री के आगे पीछे हो रहे थे। गोविंद सिंह प्रदेश की जनता को लेकर कितने संवेदनशील है यह इस बात का प्रमाण है कि वो दिन भर मुख्यमंत्री के आसपास घूमते रहे, लेकिन उन्होंने एक बार भी ग्वालियर जाकर मृतकों के परिजनों का हाल जानने की हिमाकत नहीं दिखाई। इससे पहले भी सीधी जिले में हुई घटना के वक्त भी परिवहन मंत्री ने सिवाय जांच कराए जाने के आदेश के अलावा परिजनों से मिलना जरूरी नहीं समझा था। जानकारों की मानें तो गोविंद सिंह राजपूत परिवहन मंत्री के रुप में शिवराज सरकार पर सिर्फ एक दाग है। यही वजह है कि इतने बड़े हादसे के बाद गोविंद सिंह राजपूत ने वहीं रटा-रटाया जबाव दिया घटना की जांच के आदेश दे दिए है। आपको याद होगा कि इससे पहले जब सीधी बस हादसा हुआ था तब भी सरकार ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा और घटना के जांच के आदेश दिए थे। ऐसे जांच के आदेश का क्या फायदा जो सड़क हादसों में लगाम नहीं लगा पा रहा है। वहीं, गोविंद सिंह राजपूत की असंवेदनशीलता पर कांग्रेस ने प्रहार करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से इस्तीफा लीजिए। सत्ता बचाए रखने के लिए इंसानियत को भूल जाना कहां का न्याय है। खेर, प्रदेश की जनता अच्छी तरह से जानती है कि किस तरह से सिंधिया ने अपनी जिद पर अड़कर राजपूत को परिवहन विभाग देने के लिए मुख्यमंत्री से मांग की थी। लेकिन यह प्रदेश का दुर्भाग्य है कि परिवहन मंत्री को जनता की चिंता से ज्यादा श्रीमंत के आवभगत की चिंता रहती है। तभी तो सिंधिया के भोपाल या मध्य प्रदेश में आते ही सब काम छोड़कर उनके आगे पीछे घूमने लगते है।