मप्र : छतरपुर के अपर कलेक्टर ने लिया बीआरएस
 कलेक्टर की सख्ती से अधिकारियों में हड़कंप

यहां कार्यवाही होना जरूरी : ग्रामपंचायतों के भ्रष्टाचार में डूबे सीईओ, उप यात्रियों पर शिकंजा कब कसेगा ..?

राजेन्द्र वर्मा ( वरिष्ठ पत्रकार ) भोपाल

छतरपुर जिले के कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने लापरवाह,भ्रष्ट अफसरों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। जिससे अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। हाल ही में अपर कलेक्टर प्रेम सिंह चौहान के रिटायरमेंट के पूर्व वीआरएस लेने पर जिले के निकम्मे,निठल्ले,कमीशनखोर अफसर हिले हुए हैं। जिले में प्रशासनिक कसावट लाने के उद्देश्य से कलेक्टर ने पटवारी से लेकर जिले के अधिकारियों तक लगाम कस दी है। जिसका असर भी दिखाई देने लगा है। इसके पूर्व कलेक्ट्रेट के भ्रष्ट बाबुओं पर कार्यवाही की गई थी। जिसको लेकर बड़ा शोर मचा था। हाल ही में 2017-18 से लेकर अब तक के मुआवजे के फ़ेल और पास केसों के लिए पटवारी से लेकर तहसीलदार,एसडीएम दिनरात काम पर लगाये जा चुके हैं ।इसका असर प्रशासनिक कसावट को लेकर दिखाई देने लगा है। ग्रेनाइट खदानों के विश्वस्तरीय गढ़ लवकुशनर के एसडीएम को भी खदान मालिकों से सांठगांठ,कार्यों में लापरवाही पर वहां से हटा दिया गया।
कलेक्टर साहब यहां भी गौर करिए :
लवकुशनगर क्षेत्र में करोड़ों रुपये के राजस्व की चोरी और अनाधिकृत खनन,प्रदूषण से मानव जीवन को खतरा,किसानों के खेतों पर पहाड़ खड़े कर कृषि भूमि को सैकड़ों एकड़ में पत्थर के पहाड़ खड़े कर सदियों के लिए बंजर करने का काम बदस्तूर किया जा रहा है। फॉर्च्यून रेड ग्रेनाइट और किसान मिनरल्स के संचालक जिले के माइनिंग अधिकारी की सांठगांठ से बदस्तूर इन कामों को अंजाम दे रहे हैं। सरकारी सड़कों को पत्थर के लोडर दिनरात आवागमन कर खराब कर रहे हैं। माइनिंग जिला अधिकारी के संरक्षण में चल रहे इस कारोबार पर ठोस कार्यवाही अब जरूरी दिखाई देने लगी है।

जप सीईओ चौपट कर रहे हैं विकास :

जिले में तंगहाल प्रशासनिक व्यवस्था को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा को मूर्तरूप देने ग्रामीणों को न्याय दिलाने,विकास को भ्र्ष्टाचार से मुक्त करने स्थानीय निकायों के माईबाप जनपद सीईओ पर शिकंजा कसना जरूरी हो गया है। जिला सीईओ से लेकर यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री के पास भ्र्ष्टाचार के प्रमाणस्वरूप सैकड़ों शिकायतें पड़ीं है। जिन पर जांच ही नही की जा रही है। सर्वाधिक विवादास्पद बिजावर सीईओ अखिलेश उपाध्याय की सभी ग्राम पंचायतों में करोड़ों का भ्र्ष्टाचार जग जाहिर है। यदि इन ग्राम पंचायतों के निर्माण कार्यों से लेकर योजनावार जांच कराई जाए तो हकीकत सामने आ जायेगी। जिले की ग्राम पंचायतों में करोड़ों के भ्र्ष्टाचार पर कार्यपालन यंत्री यादव ने हमें बताया कि जनपद सीईओ इसके लिए जवाबदेह हैं। नियंत्रण की पहली जवाबदारी उनकी ही है।
कलेक्टर भी पकड़ चुके हैं :

कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह को जिले के जनपद सीईओ पर शिकंजा कसना जरूरी हो गया है।कुछ समय पहले बिजावर जनपद की कुछ ग्राम पंचायतों में कलेक्टर ने ओचक निरीक्षण किया था। उपयंत्री पर कार्यवाही भी कर चुके हैं।
जरुरी है कि ग्रामपंचायतों में व्याप्त धांधली रोकने,सुशासन की वापसी के लिए टीमें बनाकर जांच कराना होगी। तभी निचले स्तर पर भी सुशासन लौट पायेगा। अभी विकास के नाम पर 20 से 50 फीसदी कमीशन का खेल चल रहा है।
कलेक्टर की सुशासन के लिए पहल :
कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह की जिले में सुशासन को पटरी पर लाने की कोशिशों की अब तारीफ होने लगी है। जिले के लापरवाह,भ्रष्ट अधिकारी बगलें झांक लामबद्ध होने लगे हैं। विभिन्न माध्यमों से कलेक्टर की शिकायतें मुखयमंत्री तक पहुंचाने का खेल भी शुरू हो गया है। असलियत यह है कि कलेक्टर ने अब माफियाओं के साथ साथ लापरवाह और भ्रष्टाचार के संरक्षक अधिकारी- कर्मचारियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।