बेपरवाह, लापरवाह पी.एल.पुनिया
कोरोना संक्रमित हैं पी.एल.पुनिया
पुनिया ने शासन, प्रशासन को सकते में डाला
विजया पाठक
आज जहां पूरा देश और छत्तीसगढ़ प्रदेश कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है वहीं कुछ नेता ऐसे भी हैं जो सोशल डिस्टेंनसिंग की तो धज्जियां उड़ा ही रहे हैं, साथ ही कोरोना संक्रमित होकर भी दूसरों की जिंदगी के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसे नेताओं में शामिल हैं छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रभारी पी.एल. पुनिया। आमजन से लेकर राजनेता और प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी सभी लोग इस महामारी के अपना बचाव कर रहे हैं। सामाजिक दूरी बनाकर काफी हद तक अपने आपको सुरक्षित रख रहे हैं। लेकिन पी.एल.पुनिया ने 9 अक्टूबर को रायपुर में कोरोना संक्रमण का टेस्ट करवाया। इस टेस्ट की रिपोर्ट 10 अक्टूबर को आयी। इसी बीच पुनिया मुख्यमंत्री निवास और कांग्रेस भवन में आयोजित बैठकों में भाग लेते रहे।
रायपुर प्रवास के दौरान पुनिया मुख्यमंत्री, मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, समेत कई कांग्रेसी नेताओं से मिले। अब पुनिया की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद स्वास्थ महकमे में बैठक में शामिल नेताओं को लेकर हडकंप सा मचा हुआ है। राजीव भवन में चुनाव समिति की बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम, मंत्री रवीन्द्र चौबे, मो. अकबर, ताम्रध्वज साहू, टी.एस.सिंह देव, डॉ. शिव डहरिया और अमरजीत भगत मौजूद थे। अब इन सब पर भी कोरोना का भय पैदा हो गया है।
इस सबके बावजूद पुनिया की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद वह फ्लाईट से दिल्ली भी गए। पुनिया एक आईएएस अफसर रह चुके हैं। उन्हें इतनी तो जानकारी होगी ही कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति को इस तरह से यात्रा नहीं करनी चाहिए। यात्रा के दौरान न जाने कितने लोगों से संपर्क हुआ होगा। निश्चित तौर पर पुनिया ने कई जिंदगियों के साथ खिलवाड़ की है। बेपरवाही और लापरवाही की पराकाष्ठा का प्रदर्शन किया हैं। ऐसी लापरवाही के लिए उन पर एफआईआर होनी चाहिए। भारत में संगरोध (क्वारनटिंन) की अवज्ञा करने पर सेक्शन 271 भारतीय दण्ड संहिता,1807 में छ: माह तक की सजा एवं आर्थिक दण्ड या दोनों का प्रावधान है और माहमारी को फैलाने में सेक्शन 269 एवं 270 भारतीय दण्ड संहिता के तहत एक अपराध है, जिसमें सेक्शन 269 अवैध या लापरवाही से जानलेवा संक्रमण को फैलाने पर छ: माह तक की सजा एवं आर्थिक दण्ड या दोनों का प्रावधान है। इसके साथ सेक्शन 270 भारतीय दण्ड संहिता जानबूझ कर ऐसी माहमारी को फैलाने पर दो साल तक की सजा एवं आर्थिक दण्ड या दोनों का प्रावधान है। इसके अलावा भारत में माहमारी रोग अधिनियम 1897 पर लागू हो गया है जिसमें माहमारी का फैलाव यात्रा से या किसी और प्रावधान से सेक्शन 188 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के तहत छ: माह तक की सजा एवं आर्थिक दण्ड या दोनों का प्रावधान है। इसके अलावा आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 में कृतिम एवं प्राकृतिक आपदा में भी कार्यवाही हो सकती है।
एक बात का और जिक्र करना आवश्यक है कि पी.एल. पुनिया ने जब कोरोना का टेस्ट करवाया था, निश्चित है इससे पहले से ही उन्हें कोरोना संक्रमण के लक्षण दिख रहे होंगे या उन्हें आभास हो रहा होगा। टेस्ट रिपोर्ट का इंतजार किए बिना ही उन्होंने सामाजिक दूरी बनाए रखना मुनासिब नही समझा। कम से कम वह रिपोर्ट आने का इंतजार कर सकते थे। उसके बाद भी बैठक ले सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया, जान-बूझकर सैकड़ों लोगों की जान सकते में डाल दिया। आश्चर्य होता है कि एक वरिष्ठ नेता कैसे इतनी बड़ी घोर लापरवाही कर सकता है। मतलब उन्हें समाज से सरोकार रखने वाले मामलों से कोई वास्ता नहीं है। यही कारण रहा कि उन्होंने कोरोना जैसे संवेदनशील मामले को गंभीरता से नही लिया। पुनिया जैसे नेताओं के कारण छत्तीसगढ़ में कोरोना कंट्रोल का ग्राफ ठीक नही है। जिस प्रदेश के नेता इतनी बड़ी लापरवाही कर सकते हैं तो आमजनों में क्या ही संदेश जाऐगा। छत्तीसगढ़ में व्ही.आई.पी. के लिये कोरोना काल में अलग व्यवहार है और आमजनों के लिये अलग। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार पूर्व में लॉकडाउन भी अपने फायदे के लिये लगाता रहा है। अब ऐसे में पी.एल.पुनिया पर कोई कानूनी कार्यवाही होगी या सरकार कोरोना-भ्रष्टाचार में मग्न रहेगा अब यह तो आने वाला समय ही बतलाएगा।