भोपाल।  संपूर्ण भारत वर्तमान समय में कोरोना वायरस जैसी महामारी का सामना कर रहा है । देश में त्राहि त्राहि मची है । सरकार द्वारा समय पर सही निर्णय नही लेने के  परिणामस्वरूप उसका दंश सम्पूर्ण देश भुगत रहा है । महामारी व्यापक रुप धारण करती जा रही है , संपूर्ण देश में लॉक डाउन ओर कई प्रदेशो में टोटल लॉक डाउन के बावजूद कोरोना संक्रमण के आंकड़े दिन प्रतिदिन व्यापक हो रहे हैं । यह बात ओर है कि लॉक डाउन कराने से संभवतः इस बढ़ोत्तरी को रोका गया है परंतु बिना व्यवस्था किए अचानक लॉक डाउन का आदेश जनता पर किसी वज्रपात से कम नही है । कारखाने बंद हैं , रोज़गार बंद है जनता बंद है ओर भूख हावी है । वह भूख जिसकी पूर्ति का कोई ठोस इन्तेजाम नही किया गया केवल कागज़ी घोड़े दौड़े ओर कागजो में बंद होगये , मन की बात से मन बहलाया गया पेट की आग अभी भी जल रही है ।
प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद समाप्त हो रहे 21 दिन के लॉक डाउन के पूर्व कल प्रधानमंत्री द्वारा देश को पुनः संबोधित करने के बाद 19 दिन की अवधि और बढ़ा दी गई।  अपने संबोधन में प्रधानमंत्री द्वारा जनता से बारंबार सोशल डिस्टेंस पर अमल करने का बल दिया गया,  परंतु उन उद्बोधन में कहीं पर भी इस बात का जिक्र नहीं मिला जिसमें यह एहसास हो कि पिछले 21 दिन के लॉक डाउन से गरीब मजदूर वर्ग के मौजूद आर्थिक मंदी , बेरोजगारी , भुखमरी का भाव एवं संसाधन की उपलब्धता का अभाव पर उनको किसी प्रकार की कोई चिंता हो । अपने उद्बोधन में उनके द्वारा लॉक डाउन की अवधि में सावधानी बरतने और  सोशल डिस्टेंस के नियमों का पालन करने जोर दिया गया । परंतु जनता के समक्ष मौजूद समस्याओं के निदान के लिए प्रधानमंत्री ने ना तो कोई सुझाव दिया और ना ही किसी योजना के संबंध में कोई वक्तव्य दिया । प्रधानमंत्री ने महामारी से जंग कर रहे डॉक्टरों , स्वास्थ्य कर्मचारियों , पुलिस कर्मियों के लिए भी किसी भी प्रकार की प्रसन्नता भरी खबर नहीं सुनाई।
गौरतलब हो कि पहले दिल्ली में हज़ारों सड़कों पर उतरे आज मुंबई में आये ,  ओर फ़िर गुजरात में ! इसकी ज़िम्मेदारी सरकार की भी ओर रेलवे की भी है । रेलवे द्वारा ऑन लाइन रिज़र्वेशन होता रहा और जनता को ठगा जाता रहा ओर कल जब लोग स्टेशन पहुंचे तो उनको भगा दिया गया । इससे पूर्व देश के केबिनेट सचिव ने भी कई दिन पहले भ्रम बढ़ाने में कोई कसर नही छोड़ी थी दावा था लॉक डाउन नही होगा ओर कल फ़िर लॉक डाउन बढ़ाने के ऐलान ने जनता की कमर तोड़ दी ।
 गौरतलब हो 21 दिन के लॉक डाउन समाप्त होने से पूर्व भी देश के केबिनेट सचिव के द्वारा लॉक डाउन नहीं बढ़ाने की वक्तव्य , रेलवे मंत्रालय द्वारा रेल यात्रियों के लिए की ऑनलाइन टिकट व्यवस्था लागू करने के बाद जब हजारों  लोगों द्वारा ट्रेनों में आने के लिए रिजर्वेशन करा लिया गया तब दुर्भाग्यवश कल के प्रधानमंत्री के उद्बोधन के बाद रेलवे के द्वारा तत्काल रिजर्वेशन को निरस्त करने के आदेश निकम्मेपन का परिणाम है । कल रेलवे की गलती के कारण महाराष्ट्र में हजारों की तादाद में स्टेशन पर मौजूद मजदूरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा जिसे संपूर्ण देश ने देखा।  यह सरकार की नाकामी और रेलवे प्रशासन के निकम्मे पन का परिणाम है कि महाराष्ट्र में हजारों की तादाद में मजदूरों को अपने घरों को जाने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ा।  सरकार और रेलवे के निकम्मे पन का परिणाम है कि सोशल डिस्टेंस की धज्जियां उड़ाने वाली यह घटना महज़ संयोग नहीं है।  क्योंकि इसके बाद गुजरात में भी हजारों की तादाद में ग़रीबों का भूखमरी और तंगी से परेशान होकर सड़कों पर आना भी सोशल डिस्टेंस की धज्जियां उड़ाता हुआ नज़र आया ।  यदि महाराष्ट्र के संदर्भ में देखा जाए तो रेलवे प्रशासन के निकम्मेपन का परिणाम है कि हजारों की तादाद में मजदूर रेलवे स्टेशन पर पहुंचे मगर गुजरात मॉडल को देश में क़ायम करने वाले प्रधानमंत्री के गुजरात में तो स्वयं सोशल डिस्टेंस महज़ इसलिये टूट रहा है क्योंकि जनता को खाने को कुछ नसीब नही हो रहा है । गरीबों के दिमाग और पेट दोनों में आग धधक रही है इसपर गम्भीरता ज़रूरी है।
@सैयद ख़ालिद कैस