भोपाल। संपूर्ण भारत इस वक्त कोरोनावायरस जैसी गंभीर बीमारी के प्रकोप का सामना कर रहा है ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आहवान पर संपूर्ण भारत में 21 दिन का लॉक डाउन हो गया है। ऐसे विकट समय में केंद्र सरकार द्वारा बिना किसी योजना को बनाए संपूर्ण भारत में लॉक डाउन करने से गरीब और मजदूर परिवारो के समक्ष एक और आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है वही दूसरी ओर कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे इस महा अभियान के नाम पर प्रधानमंत्री के आह्वान पर जिस प्रकार जनप्रतिनिधि जरूरतमंदों के लिए मदद के नाम पर सहयोग राशि की जो घोषणा कर रहे हैं वे भी किसी उपहास से कम प्रतीत नहीं हो रहा।
एक ओर भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री कोरोना वायरस के भय से अपने घरों में कैद हो गए हैं , वहीं दूसरी ओर सामाजिक सरोकार के लोग जनमानस को सहायता पहुंचाने के लिए सड़कों पर मौजूद हैं।
ऐसे हालात में हमारे जनप्रतिनिधि क्षेत्रीय सांसद , विधायकों द्वारा जिस प्रकार सांसद निधि एवं विधायक निधि से मदद की जो घोषणा की जा रही है वह भी एक छलावा महसूस हो रही है । क्योंकि क्षेत्रीय सांसद एवं विधायक अपने व्यक्तिगत संपत्ति एवं धनराशि से आर्थिक सहयोग ना कर जिस प्रकार सांसद और विधायक निधि से सहायता की घोषणा कर वाहवाही लूट रहे हैं वे वास्तव में उनकी भक्ति नहीं है। क्षेत्रीय विकास के नाम पर सांसदों एवं विधायकों को केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा जो राशि मुहैया कराई जाती है वह क्षेत्रीय विकास के लिए उपलब्ध होती है। ऐसे समय में जब देश विकट समस्या का सामना कर रहा है तो हमारे देश के सांसद एवं विधायक देश की जनता के साथ मज़ाक करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
क्षेत्रीय सांसदों एवं विधायकों को अपने निजी संपत्ति में से इस विकट समस्या के रोकथाम के लिए राशि उपलब्ध करानी चाहिए , परंतु वह उसके स्थान पर वे उस राशि की घोषणा कर रहे हैं जो स्वयं उनकी नहीं है और केंद्र व राज्य सरकार द्वारा उनको वह राशि क्षेत्रीय विकास हेतु उपलब्ध कराई जाती है।
मध्यप्रदेश के संदर्भ में देखा जाए तो कमलनाथ सरकार को गिराने के बाद शिवराज चौहान बिना मंत्रिमंडल के मध्य प्रदेश में सरकार चला रहे हैं । भाजपा द्वारा ऐसे समय में कमलनाथ सरकार को गिराया गया जब प्रदेश में विधानसभा में बजट सत्र होने वाला था। बजट सत्र के अभाव में कमलनाथ सरकार के गिरने के पश्चात शिवराज सिंह चौहान के पास इस वक्त इसी स्थिति निर्मित हो गई है कि वर्ष 2019 का आवंटित बजट जो 31 मार्च को समाप्त होने वाले सत्र में स्वतः ही लैप्स हो जाएगा । ऐसे में बिना बजट अनुमोदन के शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश की जनता को सिवाय झूठे आश्वासन के कुछ भी नहीं दे सकते हैं । बिना मंत्रीमंडल की सरकार चलाने वाले शिवराज सिंह चौहान जब तक मध्य प्रदेश विधानसभा में सत्र बजट सत्र आहूत कर अनुमोदन नहीं कराते तब तक प्रदेश में किसी भी प्रकार की योजना को मूलरूप प्रदान नहीं किया जा सकता है।
दुर्भाग्य का विषय है कि हमारे जनप्रतिनिधि कोरोनावायरस नामक इस भयंकर महामारी के बीच रोकथाम के लिए उस राशि की घोषणा कर रहे हैं जिसका वर्तमान समय में उपलब्ध होना संभव नही है। क्षेत्रीय सांसदों और विधायकों की सांसद और विधायक निधि के लिए लिखे गए पत्र संबंधित कलेक्टरों के माध्यम से केवल कागजी कार्रवाई तक ही सीमित रहेंगे । उक्त राशि का आवंटन इतनी आसानी से नहीं हो पाएगा , जो वर्तमान समय में इस महामारी की रोकथाम के लिए सहायक हो सके। ऐसे में यह साबित हो गया कि हमारे जनप्रतिनिधि इस महामारी के प्रति कितने संवेदनशील है। इन जनप्रतिनिधियों से तो लाख दर्जे अच्छे शासकीय कर्मचारी और अधिकारी हैं, जो अपने वेतन की राशि इस महामारी की रोकथाम के लिए उपलब्ध करा रहे हैं । धिक्कार है ऐसे जनप्रतिनिधियों को जो परोपकार भी दिखावे के रूप में कर रहे हैं । यदि उनको जनमानस से , उनकी समस्याओं से, उनकी आवश्यकताओं से वास्तविक रूप से सरोकार है तो इनको अपने निजी खातों से, निजी संपत्तियों से जनता को आर्थिक लाभ उपलब्ध कराना चाहिए । सांसद व विधायक निधि के प्रोपेगंडा कर वाहवाही लूटना जनता की भावनाओ के साथ खिलवाड़ से कम नही है ।
@भोपाल से सैयद खालिद कैस