विजया पाठक
मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार और प्रदेश कांग्रेस में अंतर्कलह अब खुलकर सामने आ गई है। प्रदेश के सहकारिता, संसदीय कार्य और सामान्य प्रशासन मंत्री गोविंद सिंह ने किसानों के ऋण माफ नहीं करने पर सफाई दी तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ सरकार को एक बार फिर घेर लिया है। सिंधिया ने कहा कि अगर कांग्रेस ने कुछ वादा किया है, तो उसे पूरा करना बहुत जरूरी है। नहीं तो सड़क पर उतरना पड़ेगा। यह बात उन्होंने अतिथि शिक्षकों के मामले को लेकर कही थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्यप्रदेश के लोगों से किए गए वादों को पूरा करने में पार्टी के गंभीरता न दिखाने पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही सिंधिया ने दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणामों को निराशाजनक करार देते हुए कहा था कि पार्टी को नई विचारधारा, नई सोच और कामकाज के नए तरीकों से खुद को मजबूत करने की जरूरत है। ज्योतिरादित्य सिंधिया की चेतावनी के बाद से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं। मतलब साफ है कि सिंधिया का निशाना मध्यप्रदेश के लिए भी था। कमलनाथ के कामकाज से ज्या दातर नेता नाखुश हैं। उनकी सोच,समझ पर सवाल खड़े होने लगे हैं। सवाल तो पहले भी खड़े होते थे अब सामने आने लगे हैं। मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार में इन दिनों कुछ सही नहीं चल रहा है। सिंधिया ने अब खुलकर कमलाथ सरकार का विरोध करने शुरू कर दिया है। हाल ही में कमलनाथ ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक कमलनाथ ने कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की ओर से राज्य सरकार पर किए गए ताजा हमले को लेकर अपनी नाराजगी भी जाहिर की। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के वचनपत्र को लागू किए जाने पर कई नेताओं की ओर से सवाल खड़े किए जाने के मुद्दे पर भी कमलनाथ ने सोनिया गांधी से बात की। राज्य कांग्रेस के कुछ नेताओं ने मांग की है कि पार्टी को अपने घोषणापत्र में किए गए वादों को निभाना चाहिए। मंत्री गोविंद सिंह ने हाल ही में एक सार्वजनिक समारोह में कहा कि धन की कमी की वजह से कुछ वादे पूरे नहीं हो पाए।
कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी और सरकार के कामकाज पर उठते सवालों से तो यही लगता है कि अब कमलनाथ सरकार के दिन पूरे होने वाले हैं। आमजन के साथ-साथ उनके सहयोगी ही उनकी कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिंह लगाने लगे हैं। दरअसल सीएम कमलनाथ में प्रशासन चलाने का ज्ञान न होने के साथ-साथ अपनों और गैरों में भी फर्क करने की समझ नहीं है। कमलनाथ ने अपने आसपास ऐसे लोगों को जमाए रखा है जो या तो गलत जानकारी देते हैं या अपना उल्लू सीधा करने में कानाफूसी करने में लगे रहते हैं। इससे पहले भी प्रदेश में मुख्यमंत्री रहे हैं, जिन्होंने ऐसी फौज कभी नहीं रखी जो पीठ पर बार करती हो। आज कमलनाथ के जो खास हैं वही उनके दुश्मन हैं। यह बात सीएम को समझनी होगी।
खैर, मध्यप्रदेश में कांग्रेस के मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच वर्चस्व की लड़ाई विधानसभा चुनाव के वक़्त से ही चल रही है। चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्ष बनने और चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनने की बाज़ी कमलनाथ के हाथ लगी। ऐसे में नेता अपनी-अपनी चालों में लग गए। यही वजह है कि कमलनाथ को भी अपनी चालें चलनी पड़ रही हैं। कांग्रेस के ताज़ा हालात की बात करें तो कमलनाथ सरकार में दिग्विजय सिंह निर्णायक भूमिका में हैं। इसकी तीन वजह समझ आती हैं। पहली, मध्यप्रदेश की राजनीति से कमलनाथ वाकिफ नहीं हैं और ऐसे में दिग्विजय सिंह उनके लिए मददगार हैं। दूसरा, ज्योतिरादित्य सिंधिया को अलग-थलग करने में भी उन्हें किसी नेता की ज़रूरत है और तीसरा, तकनीकि रूप से कमलनाथ सरकार के पास बहुमत का पूरा आंकड़ा नहीं है। ऐसे में सरकार पर आने वाले संकट से बचाने में दिग्विजय सिंह उनके लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।