विजया पाठक
यदि कमलनाथ वाकई में हनीट्रेप मामले की तह तक जाना चाहती है और इस मामले से जुड़े लोगों का नाम उजागर करना चाहती है तो सरकार को प्रदेश के जनसंपर्क विभाग के प्रमुखों की जांच कराना होगी। खासकर 2005 के बाद बने जनसंपर्क विभाग प्रमुखों को जांच कराना होगी। 21.9.2005 से 6.2.2006 रहे संचालक और 6.2.2006 से 21.4.2010, 26.4.2010 से 11.8.2014, 11.8.2014 से 15.6.2015 और 15.6.2015 से 23.11.2017 तक रहे आयुक्तोंत के कार्यकाल की जांच कराना चाहिए। इस कार्यकाल में जो भी अधिकारी जनसंपर्क का प्रमुख बना उसने विभाग को भारी आर्थिक हानि पहुंचायी। प्रदेश सरकार को इस दौरान जनसंपर्क विभाग से जो भी विज्ञापन या अन्य कार्यों में जो राशि जारी हुई है उसका बारीकि से जांच-पड़ताल की जाए तो भारी आर्थिक अनियमितताएं सामने आएंगी। आयुक्त जैसे उच्च पद पर बैठे इन समय के अधिकारियों ने हनीट्रेप की महिलाओं को काफी लाभ पहुंचाया है। इसके साथ ही इस दौरान के अधिकारियों द्वारा लिखित नोटसीट्स की भी जांच कराना चाहिए। निश्चित तौर पर हनीट्रेप का पूरा का पूरा खेल इस विभाग से ही प्रारंभ हुआ है। विभाग के संचालक और आयुक्तों ने हनीट्रेप में फंसी महिलाओं को खासा फायदा पहुंचाया है। बाद में जब ये अधिकारी विभाग से हटकर अन्यव विभागों में पहुंचे तब भी इन महिलाओं से अफसरों का संबंध बना रहा। जिसका अंदाजा हमने एसके मिश्रा का वीडियो वायरल होने से भी लगा सकते हैं। हनीट्रेप मामले गिरफ्तार महिलाओं ने भी पूछताछ में स्वीसकारा है कि उच्च् अधिकारियों ने गैर कानूनी रूप से कांट्रैक्टर दिलवाएं हैं या अन्यह तरह से लाभ पहुंचाया है। अब प्रदेश की कमलनाथ सरकार की जिम्मे दारी बनती है वह मामले का पूरा सच सामने लाए। यह बात भी सच है कि कमलनाथ फिलहाल मामले को दबाने की पूरी कोशिश कर रही है। ऐसे हालातों में नहीं लगता कि वह इन अधिकारियों की जांच कर सकती है। भले ही सरकार कह रही है कि हनीट्रेप मामले की पूरी सच्चाीई को उजागर कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी लेकिन सरकार की मंशा को देखा जाए तो वह इस मामले को दबाने में लगी है।
सब जानते हैं और सरकार भी जानती है कि हनीट्रेप मामले की असली जड़ जनसंपर्क विभाग ही है। यहीं से अधिकारियों को मोहरा बनाया गया है और अधिकारी मोहरा बने हैं। यह एक ऐसा विभाग है जहां से करोड़ों की हेराफेरा आसानी की जा सकती है। यही कारण है कि आरोपीमहिलाओं ने इस विभाग को चुना।
प्रदेश के बहुचर्चित हनीट्रेप मामले में अब आयकर विभाग का दखल बढ़ता जा रहा है। हाईकोर्ट ने मामले की जांच कर रही एसआईटी को आदेश दिए हैं कि वह 10 दिन में केस से जुड़े दस्ताीवेज आयकर विभाग को सौंपे। साथ ही हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि सरकार 6 हफ्ते में बताए कि सीबीआई जांच क्यों न हो। उल्लेदखनीय है कि एसआईटी की पूछताछ में आरोपी महिलाओं ने करोड़ों रूपए के लेन-देन, कांट्रैक्ट लिए जाने का खुलासा किया था, जिसकी जांच आयकर विभाग ने भी शुरू कर दी थी।