भोपाल । मध्यप्रदेश में कॉंग्रेस की सरकार कायम होने के बाद से ही अपने आप को असुरक्षित मेहसूस कर रहे पूर्व सांसद एवं वरिष्ठ कॉंग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया गाहेबागाहे कॉंग्रेस को यह जता ही देते हैं कि वह नाराज़ हैं । मध्यप्रदेश कॉंग्रेस के मठाधीश नही चाहते कि वह कॉंग्रेस अध्यक्ष बने । इसके लिए वह कोई कौर कसर नही छोड़ते । कमलनाथ स्वयम सिंधिया से सीधे पंगा नही लेते पर वह भी उनको पटखनी देते रहते हैं । ज्योतिरादित्य सिंधिया का कॉंग्रेस विचारधारा के ख़िलाफ़ जाने के भी कई मामले सामने आ रहे हैं । इसका ताजा उदाहरण आज देखने को मिला ।
गौरतलब हो कि कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नागरिकता संशाेधन बिल का समर्थन किया है। इंदौर में बुधवार को सिंधिया ने कहा- यह बिल संविधान के विपरीत होना अलग बात है, लेकिन यह भारत की सभ्यता और वसुधैव कुटुंबकम् की विचारधारा के अनुरूप है। सिंधिया ने कहा कि यह पहले देशों के आधार पर हुआ, अब राज्य और धर्म के आधार हो रहा है। मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ दिल्ली में 14 दिसंबर को कांग्रेस के आंदोलन की तैयारियों के लिए सिंधिया इंदौर पहुंचे थे।

सिंधिया ने कहा, “कांग्रेस के साथ देश के कई राजनैतिक दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं। देश के कई राज्यों, खासतौर पर उत्तर-पूर्व में आप स्थिति देखिए।” संविधान और बिल में विरोधाभास के सवाल पर उन्होंने कहा- बाबा साहब अंबेडकर ने संविधान में लिखा है कि किसी को जात-पात, धर्म की दृष्टि से नहीं देखा जाएगा। सभी को केवल भारत का नागरिक माना जाएगा।

सिंधिया ने कहा- वसुधैव कुटुंबकम भारत की विशेषता रही है। केवल प्रजातंत्र की बात नहीं है, बल्कि पिछले तीन-चार हजार सालों के इतिहास को देखा जाए, तो भारत ने सभी को अपनाया है। मैं मानता हूं कि भारत की विचारधारा और सभ्यता है, सभी को साथ लेकर चलना। इस बिल में भी धर्म और राज्य के आधार की बात कही गई है। देशों के आधार पर तो यह पहले भी हुआ था, लेकिन धर्म के आधार पर यह पहली बार है। मैं मानता हूं कि यह संविधान के विपरीत है, लेकिन भारतीय संस्कृति के अनुरूप है।

यह पहला मौका नहीं है, जब सिंधिया पार्टी लाइन के खिलाफ गए हों। 5 अगस्त को जब केंद्र सरकार ने धारा 370 हटाने का प्रस्ताव पास कराया था, तब भी ज्योतिरादित्य ने इस कदम को सही बताया था। उस समय कांग्रेस इसका विरोध कर रही थी। अक्टूबर में भिंड में पार्टी के एक कार्यक्रम में भी सिंधिया ने मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने तंज कसते हुए कहा था कि चुनाव से पहले कांग्रेस ने 2 लाख रुपए की कर्जमाफी का वादा किया था, लेकिन किसानों के 50 हजार तक के ही कर्ज माफ हुए। पिछले दिनों सिंधिया ने अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल से भी पार्टी के सभी पद हटा दिए थे।
कॉंग्रेस विचारधारा के विपरीत जाकर ज्योतिरादित्य सिंधिया कॉंग्रेस को अपनी नाराज़गी जता रहे हैं या पिछले दरवाज़े से मोदी समर्थक होकर भाजपा में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं । यह तो आने वाला वक्त बताएगा कि राजा की साजिशों के बदला महाराजा भाजपा से हाथ मिलाकर देंगे या किसी नए संगठन का गठन करते हैं ।
@भोपाल से सैयद ख़ालिद कैस की कलम से ।