भोपाल । जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370हटने के बाद के परिणाम अब धीरे धीरे सामने आ रहे हैँ । अब जम्मू कश्मीर में पूर्व से लागू क़ानून और उसके तहत निर्मित व्यवस्था खत्म हो कर देश भर में लागू क़ानून जम्मू कश्मीर में भी अस्तित्व में आजायेगे । आने वाले समय में बहुत कुछ बदल जाऐगा । या यह कहें कि आने वाले समय में जम्मू कश्मीर की सूरत बदलने वाली है । न्यायिक व्यवस्था में होने वाले बदलाव का सीधा असर वकील समुदाय पर होगा और उनके समक्ष आर्थिक संकट निर्मित होने की संभावनाओं से इंकार नही किया जा सकता है । आने वाले सोमवार से जम्मू कश्मीर की न्यायिक व्यवस्था एक नवीन रूप में होगी ।

जम्मू कश्मीर की अदालतों में रविवार से बहुत कुछ बदल जाएगा। केंद्र के कानून सीधे तौर पर जम्मू कश्मीर में लागू होंगे। अदालतों में आरपीसी की जगह आईपीसी के तहत आपराधिक मामलों पर सुनवाई होगी। अदालतों में अचल संपत्ति मामलों का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा। 40 से अधिक पब्लिक प्रासिक्यूटर के पद खत्म हो जाएंगे।
हालांकि जम्मू कश्मीर और लद्दाख की न्यायिक व्यवस्था के लिए ही साझा हाईकोर्ट होगा। जानकारी के अनुसार सेल डीड, गिफ्ट डीड, जमीनों और संपत्ति का रजिस्ट्र्रेशन सहित अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों का पंजीकरण अब तक अदालतों में न्यायिक अधिकारी करते थे। अब यह हक तहसीलदार, एसडीएम, एसीआर अधिकारियों को दिए गए हैं
हाईकोर्ट से जुड़े वरिष्ठ वकीलों ने बताया कि अब तक पंजीकरण की व्यवस्था अदालतों में थी। क्योंकि विशेष दर्जे के तहत सरकार की तरफ से यह व्यवस्था की गई थी। अब केंद्र शासित प्रदेश बनने से यह व्यवस्था खत्म हो गई है।

वकील समुदाय हो होगा भारी नुकसान केंद्र शासित प्रदेश बनने से राज्य के वकीलों को बड़ा नुकसान हुआ है। सीधे तौर पर न्यायिक व्यवस्था से रजिस्ट्र्रेशन को एग्जीक्यूटिव के पास शिफ्ट कर दिया गया है। जो वकीलों की आय पर हमला है। वकीलों का मानना है कि इससे न सिर्फ भ्रष्टाचार बढ़ेगा और आम पब्लिक को नुकसान होगा।

बल्कि वकीलों की आय भी नहीं बचेगी। पहले ही यह एक सीमित राज्य है। केंद्र शासित प्रदेश बनने से अब केंद्र का एक्ट लागू होगा। जिसके तहत रजिस्ट्रेशन एग्जीक्यूटिव मैजिस्ट्रेट के पास होता है।

जम्मू की बार एसोसिएशन ने बुधवार को इसे लेकर कामकाज ठप रखा। साथ ही एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक हुई। बैठक में निर्णय लिया गया कि लेफ्टिनेंट गवर्नर और चीफ जस्टिस से वकीलों का दल मिलेगा। 14 नवंबर को दोबारा बैठक करके अगली रणनीति तैयार करेंगे। बार एसोसिएशन के उप प्रधान रोहित भगत का कहना है कि इससे वकीलों की आय पर बहुत फर्क पड़ेगा।

वह चाहते हैं कि रजिस्ट्रेशन बेशक एग्जीक्यूटिव मैजिस्ट्रेटों के पास रहे। लेकिन रजिस्ट्र्र्रेशन अदालत परिसर में ही हो। यहां पर पहले से सेटअप तैयार हैं। एग्जीक्यूटिव मैजिस्ट्रेट अदालतों में ही बैठें। कोई भी रजिस्ट्रेशन करे, अदालतों में करे। एसोसिएशन के महासचिव अभिषेक वजीर का कहना है कि लिटिगेशन पहले ही बहुत सीमित है। रजिस्ट्रेशन शिफ्ट होने से तो वकीलों का काम ही खत्म हो जाएगा।

आय का कोई साधन नहीं रहेगा। इससे सिर्फ हम पर असर ही नहीं पड़ेगा। बल्कि आम पब्लिक पर भी असर पड़ेगा। वह लोग अपनी बात चीफ जस्टिस के समक्ष रखेंगे।