भोपाल ।कलेक्टर भोपाल द्वारा निकाली गई अधिसूचना के माध्यम से भोपाल नगर निगम को दो हिस्सों में विभाजित करने के मामले पर कांग्रेस और भाजपा सहित अन्य द्वारा लगाई गई आपत्तियों ने सरकार के फ़ैसले को और ज्वलनशील बना दिया है । जहाँ एक और भाजपा और उसके समर्थको द्वारा अधिसूचना में नगर निगम के विभाजन को नकारते हुऐ विरोध दर्ज कराया वहीं कॉंग्रेस और उसके समर्थक सरकार के फैसले के पक्ष में नज़र आए । आज आपत्तियाँ प्रस्तुत करने का आख़िरी दिन है और उम्मीद की जा रही है कि नगर निगम विभाजन के ख़िलाफ़ आज भारी संख्या में आपत्तियां दर्ज कराई जाएंगी ।
मालूम हो कि भारतीय जनता पार्टी के नेता सांसद,विधायक और पार्षद सब एक सुर में सुर मिलाकर भोपाल नगर निगम को दो हिस्सों में बांटने की पुरजोर मुखालफत कर रहे हैं। कलेक्ट्रेट में भाजपा के नेता विधायक और पार्षद लगातार कलेक्टर,एडीएम और एसडीएम के पास फैसले को निरस्त करने के लिए आपत्ति लगा रहे हैं। भाजपा के विरोध और आपत्तियों के जवाब में कांग्रेस भी खुलकर सामने आ गई हैं।
उसके समर्थक सरकार के फैसले में सहमति दे रहे हैँ । परन्तु कॉंग्रेस की और से समर्थन में कोई ठोस कारण या आधार प्रस्तुत नही किये जा रहे हैँ । कल कलेक्ट्रेट में भोपाल नगर निगम को दो हिस्सों में बांटने के खिलाफ आपत्ति लगाने वालों में मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और जबलपुर से सांसद राकेश सिंह भोपाल जिला अध्यक्ष विकास वीरानी भोपाल के महापौर आलोक शर्मा और नरेला से विधायक विश्वास सारंग के साथ ही भाजपा के पार्षद और कार्यकर्ता मौजूद थे।
वहीं कॉंग्रेस के दर्जन भर पार्षदों सहित अन्य कोंग्रेसियों ने नगर निगम विभाजन के समर्थन में अपना पक्ष रखा , मगर इस सबके बीच कॉंग्रेस नेता और आल इंडिया ह्यूमन राइट्स एंड सोशल जस्टिस कौंसिल के अध्यक्ष सैयद ख़ालिद कैस ने कलेक्टर के समक्ष प्रस्तूत आपत्ति में कलेक्टर द्वारा जारी अधिसूचना की वैधानिकता को ही चुनौती दे डाली ।
सैयद ख़ालिद कैस ने अपनी और से प्रस्तूत आपत्ति में बताया कि कलेक्टर द्वारा निकाली गई अधिसूचना ही ग़लत है । कलेक्टर को अधिकारिता प्राप्त नही थी । साथ ही विभाजन पर मंगवाई जाने वाली आपत्तियों को 07दिवस नही 30 दिवस कि अवधि में आहूत की जाती है ।
कॉंग्रेस -भाजपा व अन्य के द्वारा प्रस्तुत आपत्तियों में यह स्पष्ट हो रहा है कि कलेक्टर द्वारा निकाली गई अधिसूचना ख़ारिज होकर ही रहेगी , नगर निगम के विभाजन के ख़िलाफ़ जन मानस का विरोध यही साबित कर रहा है ।