नई दिल्ली– सीआईएसएफ के एक सीनियर कमांडेंट को एक सीनियर लेडी आईएएस अफसर से एकतरफा प्यार में नाकाम रहने पर उसके पति के खिलाफ खतरनाक साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
कमांडेंट ने आईएएस के पति को ड्रग्स रखने के आरोप में फंसाने के लिए जिस तरह की साजिश रची थी उसका मोडस ऑपरेंडी किसी शातिर अपराधी को भी मात देने वाला है।
दिल्ली पुलिस ने विदेश मंत्रालय के ब्यूरो ऑफ सेक्युरिटी के डायरेक्टर के पद पर तैनात सीआईएसएफ के उस सीनियर कमांडेट को उसके एक दोस्त के साथ धर-दबोचा है। सीआईएसएफ कमांडेंट रंजन प्रताप सिंह पर आरोप है कि उन्होंने राजस्थान में तैनात एक सीनियर आईएएस अफसर के पति की कार में धोखे से 550 ग्राम चरस रख दिया, ताकि उन्हें ड्रग्स रखने के केस में गिरफ्तार कराया जा सके। लेकिन, आखिरकार वह खुद ही गिरफ्तार हो गया। आरोपी कमांडेंट खुद भी शादीशुदा है।
एकतरफा प्यार में पागल था कमांडेंट
दिल्ली पुलिस के मुताबिक 45 साल का आरोपी कमांडेंट रंजन प्रताप सिंह की मुलाकात लेडी आईएएस अफसर से करीब 20 साल पहले तब हुई थी जब दोनों सिविल सेवा परीक्षा की तैयारियां कर रहे थे। साल 2000 में दोनों तब फिर से मिले जब वे मसूरी स्थित लाल बहादुर राष्ट्रीय प्रशासनिक संस्थान में चार महीने के फाउंडेशन कोर्स के लिए पहुंचे थे। एक पुलिस वाले ने बताया कि ‘सिंह ने पुलिस से कहा है कि उनका आईएएस अफसर के साथ एकतरफा प्यार था और जब उनकी दूसरे शख्स के साथ शादी हो गई तब वे बहुत ही निराश हो गए। वे उनके साथ लगातार संपर्क में थे, लेकिन हाल ही में उन्होंने बार-बार फोन करने के लिए उन्हें काफी फटकार लगाई थी। इसके चलते उन्होंने बदला लेने का फैसला किया और 6 महीने पहले अपने बचपन के एक दोस्त से चरस खरीदी। ‘
आईएएस के पति को फंसाने की साजिश कैसे रची ?
पुलिस सूत्रों के मुताबिक आरोपी कमांडेंट आईएएस से बदला लेने के लिए उनके पति को फंसाने के लिए छटपटा रहा था, जो इलेक्ट्रोनिक्स और आईटी मंत्रालय में कंसल्टेंट हैं। उसने साजिश रची की उन्हें प्रतिबंधित ड्रग्स रखने के आरोप में गिरफ्तार करा दिया जाय। उसने अपनी योजना एक दोस्त को बताई तो उसने मदद का भरोसा दिया। कमांडेंट रंजन प्रताप और उसके 40 वर्षीय वकील दोस्त नीरज चौहान ने अलीगढ़ से चरस खरीदकर पिछले 4 अक्टूबर को आईएएस अफसर की पति की कार में तब रख दिया जब वह प्रगति विहार होस्टल स्थित उनके घर के बाहर पार्किंग में खड़ी थी। बुधवार को इन दोनों ने एक फ्रूट वेंडर से मोबाइल मांगकर सीआईएसएफ डीआईजी को सीजीओ कॉम्पलेक्स में एक संदिग्ध कार खड़ी होने की सूचना दी थी।
आरोपी संदेह के घेरे में आया कैसे ?
जब पुलिस वालों ने सीजीओ कॉम्पलेक्स स्थिति आईएएस अफसर के पति के दफ्तर के बाहर खड़ी उनकी कार से मिली ड्रग्स के बारे में पूछताछ शुरू कि तब उन्होंने तत्काल संदेह जता दिया कि ड्रग्स किसी ने उन्हें फंसाने के लिए रखा है। पुलिस को कार में ड्रग्स तीन जगह पर रखी हुई मिली थी और फोन पुलिस कंट्रोल रूम की जगह सीधे सीआईएसएफ को किया गया था, इससे भी उसे शक हुआ। साउथ दिल्ली के डीसीपी अतुल ठाकुर ने कहा है कि, ‘…जांच के दौरान हमनें पाया है कि अलीगढ़ से 550 ग्राम चरस लाकर प्लांट किया गया है। हमारे पास उन दोनों के खिलाफ काफी मजबूत तकनीकी सबूत मौजदू हैं और आगे की जांच जारी है।’ इस मामले की जांच तब शुरू हुई जब सीआईएसएफ के डीआईजी को बुधवार को एक फोन आया कि सीजीओ कॉम्पलेक्स स्थित इलेक्ट्रोनिक्स निकेतन के बाहर संदिग्ध गाड़ी खड़ी है, ये वही जगह है जहां आईएएस अफसर के पति काम करते हैं। सीजीओ कॉम्पलेक्स की सुरक्षा सीआईएसएफ के जिम्मे है, जो पहले कार मालिक को तलाशते हुए गाड़ी तक पहुंची थी और फिर को बुला लिया था। पुलिस को शुरू में ही शक हुआ कि संदिग्ध कार की जानकारी देने वाला फोन सीधे सीआईएसएफ के डीआईजी रैंक के अफसर के पास कैसे पहुंचा। जबकि, वह या तो सीआईएसएफ के कंट्रोल रूम में जाता या पुलिस कंट्रोल रूम में ? कार की तलाशी के दौरान भी आईएएस अफसर के पति निश्चिंत भाव से जांच में मदद कर रहे थे।
सीसीटीवी की मदद से आरोपी तक पहुंची पुलिस
जब दिल्ली पुलिस ने डीआईजी से संदिग्ध कार की सूचना देने वाले का नंबर लेकर जांच आगे बढ़ाई तो आरोपी से एक-एक कर तार जुड़ते चले गए और वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पता चला कि फोन नंबर एक हॉकर का है। पूछताछ में उसने सारी कहानी बता दी कि कैसे दो आदमी आए और इमरजेंसी कॉल के बहाने उसका फोन मांग लिया। हॉकर ने उनकी कार का हुलिया भी पुलिस को बता दिया था। बाद में पुलिस ने सीसीटीवी की मदद से आरोपियों की उस कार का पता लगा लिया जिसपर विदेश मंत्रालय का स्टिकर चिपका था और साइड वाली एक खिड़की टूटी हुई थी। बाद में पुलिस ने इलेक्ट्रोनिक्स निकेतन की सीसीटीवी फुटेज भी चेक किया जिसमें आरोपियों की वही कार दिखाई दी, जिसका जिक्र हॉकर ने पहले किया था। उस हॉकर ने दोनों आरोपियों की पहचान भी कर ली। बाद में ट्रांसपोर्ट विभाग ने भी यह पुख्ता कर दिया कि आरोपियों की कार सिंह के नाम पर ही रजिस्टर्ड है। बुधवार शाम को ये कार लोधी कॉलोनी पुलिस स्टेशन से करीब 100 मीटर की दूरी पर खड़ी थी। दोनों आरोपी भी पास में ही टहल रहे थे, जब उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।