भोपाल।शहीद हेमंत करकरे के बारे में भोपाल से भाजपा प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर के बयान के बाद अब हेमंत करकरे की बेटी जुई करकरे का बयान सामने आया है। जुई ने कुछ नहीं कहा लेकिन इस तरह बड़ा हमला भी कर दिया। हेमंत की बेटी ने कहा कि ऐसे नेताओं को क्या जवाब दूं, वोटर समझदार हैं, वो उचित जवाब देंगे।
बता दें कि मुंबई में 26/11 को हुए आतंकवादी हमले में महाराष्ट्र एटीएस चीफ हेमंत करकरे शहीद हो गए थे। भाजपा नेता साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि वो देशद्रोही थे, अधर्मी थे और उनके श्राप के कारण हेमंत करकरे की मृत्यु हुई है। देश भर में इस बयान की निंदा हुई। यहां तक कि उनकी अपनी पार्टी ने भी प्रज्ञा ठाकुर के बयान से असंतोष जताया और हेमंत करकरे को शहीद माना। इसी सिलसिले में पत्रकार श्री मनीषा भल्ला ने अमेरिका के बॉस्टन में रह रहीं शहीद हेमंत करकरे की बटी ‘जुई’से फोन पर बात की। पहली बार जुई ने मीडिया से बात की है।
जुई करकरे ने कहा: ऐसे नेताओं से मुझे कुछ नहीं कहना, क्योंकि वो समझेंगे भी नहीं और मैं ऐसे लोगों पर बोलकर उन्हें अहमियत भी नहीं देना चाहती। वोटर समझदार हैं, वे ही जवाब देंगे। उन्होंने कहा ऐसे नेताओं से कुछ कहने का फायदा भी नहीं है। पर वोटर समझदार हैं। जानते हैं कि कौन शहीदों की इज्जत कर रहा और कौन नीचा दिखा रहा है।
अमेरिका में क्या कर रहीं हैं हेमंत करकरे की बेटी
जुई की शादी अमेरिका में हुई है। वो बतातीं हैं कि मैं बॉस्टन में पति और दो बेटियों ईशा (8 साल) और रूतुजा (5 साल) के साथ रहती हूं। मैं यहां सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूं और पति बैंकिंग सेक्टर में हैं। हेमंत करकरे की छोटी बेटी शायली और बेटा आकाश के बारे में जुई ने बताया कि पिता और मां के निधन के बाद दोनों ने खुद को लोगों से दूर कर लिया है। किसी से नहीं मिलते। उनकी प्राइवेसी पर बात नहीं करूंगी।
26/11 वाले दिन क्या हुआ था, आप कहां थीं
जुई ने कहा 11 साल पुरानी बात है। मेरी ननद हमारे पास बॉस्टन आई हुईं थीं। हम घूम रहे थे। शादी के बाद दिसंबर में मैं और पति पहली दफा भारत जाने वाले थे। वहां गेट-टू-गेदर ऑर्गेनाइज किया था। सब एक्साइटेड थे। 26 नवंबर को बहन का फोन आया कि पापा टीवी पर नजर आ रहे हैं। वह हेलमेट और बुलेटप्रूफ जैकेट पहन रहे हैं। भागकर घर पहुंची और टीवी ऑन किया। मैं, मां, भाई और पति कॉन्फ्रंसिंग पर थे। तभी खबर फ्लैश हुई कि हेमंत करकरे ज़ख्मी हो गए हैं। हमें लगा कि छोटीमोटी चोट लगी होगी। कुछ देर में खबर आई कि करकरे शहीद हो गए। हमने जो गेट-टू-गेदर जश्न के लिए प्लान किया था, वह मातम में बदल गया।
हेमंत करकरे की पत्नी ने भी अपने अंग दान कर दिए थे
जुई बताती हैं कि मां ध्यान बटाने के लिए वो पढ़ाती, स्वीमिंग और योगा करती थीं। लगा सब ठीक हो जाएगा। लेकिन तभी ब्रेन हेमरेज से उनकी मौत हाे गई। उनके अंग दान किए। जाते-जाते वो 3 जिंदगियां बचा गईं। दोनों का जाना हम भाई-बहनों के लिए सबसे बड़ा नुकसान साबित हुआ।
परिवार में कैसा व्यवहार करते थे हेमंत करकरे
जुई बतातीं हैं कि पापा को कविता का शौक था। इसलिए मां को ज्योत्सना की जगह कविता नाम से पुकारने लगे थे। एक बात और बताना चाहूंगी। 11 साल की उम्र में दीवाली पर मैं पटाखे लाई। पापा बोले कि दीवाली अनाथालय में मनाएंगे। क्योंकि उन बच्चों के लिए पटाखे कौन लाएगा, उन्हें कौन देगा। फिर मैं पटाखे अनाथालय ले गई।
क्या नक्सलियों का एनकाउंटर करते थे हेमंत करकरे
जुई कहतीं हैं कि चंद्रपुर में एसपी थे तो गांव के लोगों को नक्सलियों से नहीं डरने के लिए बोलते थे। पर कभी नक्सलियों पर गोली नहीं चलाई। क्योंकि वह जानते थे कि नक्सली एक विचारधारा है जिसे गोली से खत्म नहीं किया जा सकता। वह गांव वालों को बताते थे कि वे पुलिस का साथ दें, नक्सलियों को पनाह नहीं दें।