भोपाल -सवाल ये भी है कि दिल्ली के टीवीवाले “संवित पात्रा” को मध्यप्रदेश के भाजपाई कमजोर करने या “चुनाव हरवाने” के लिये लाये है क्या ? भोपाल में आयोजित की गई पहली प्रेस काम्प्लेक्स में जो हुआ उससे तो ऐसा ही लगता है।
संवित पात्रा की “बद्तमीजी” टीवी पर दिल्ली वाले भले ही बर्दाश्त करते होगें मगर “भोपाल के मीडिया” में कसर अभी बची हुई है, ये आज “छिछोरे संवित पात्रा” को अहसास हो गया होगा।
आचार संहिता उल्लंघन का उसके दिमाग में शायद विचार भी नहीं आया होगा।
चूंकि संवित पात्रा मुख्यालय दिल्ली से आया हैं तो यहाँ के चाटूकार नेता उसे कहते भी क्या ?
नेशनल हेराल्ड की कहानी में क्या नया है ? या फिर पात्रा की पत्रकार वार्ता में जो हुआ उससे मान लिया जाए कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व मध्यप्रदेश को लेकर आशान्वित नहीं है?
बहरहाल संवित पात्रा ने भोपाल पत्रकारिता की खासकर जो शहर “प्रिंट मीडिया” की नर्सरी कहलाता है, उसी प्रेस काम्प्लेक्स में बैठकर ये तमाशा किया है ?
राष्ट्रीय राजधानी की टीवी की दुनिया की “चकाचौंध” संवित पात्रा पर शायद इतनी हावी थी या वो शायद यहाँ के मीडिया को एवई समझ रहे थे ?
क्या दिल्ली में ये सब नियम नहीं चलते चुनावों के दौरान ? जो पहले तो बिना अनुमति ही बीच सड़क पर शुरू हो गया। फिर सवालो की बौछार शुरु हुई तो आप भाग खड़े हुये।
प्रदेश टुडे की खबर कहती है विशाल मेगा मार्ट में घुसने जा रहे थे तो आपको रोक दिया गया।
जिस जमीन और बिल्डिंग का मुद्दा उठाया उसी बिल्डिंग में मीडिया के सवालों से बचने शरण…?
उम्मीद है कि संवित पात्रा भोपाल में प्रेस कांफ्रेंस की तैयारी अगली बार ठीक से करके आयेगा ।