एक औरत कई सालों तक अपने प्रेमी के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रह चुकी थी. फिर इस औरत की ज़िंदगी में दूसरा मर्द आता है. इत्तफाक से तीनों एक दूसरे को जानते हैं. इस औरत की ज़िंदगी में आए दूसरे मर्द को पता चलता है कि वह जिसे अपनी प्रेमिका समझ रहा है, वह दूसरे के साथ संबंध रख चुकी है और संबंध अब भी हैं तो सहन नहीं कर पाता. यहां से शुरू होती है एक साज़िश और जुर्म की कहानी.
साज़िश और जुर्म की कहानी से पहले एक और कहानी होती है जो जुर्म के मकसद को ज़ाहिर किया करती है. तो, इस लव ट्राएंगल की कहानी कई साल पहले से शुरू हुई थी. ओडिशा के बेहरामपुर का रहने वाला बिष्णु सालों पहले एक छोटा सा मेडिकल स्टोर चलाया करता था. तब उसकी पहचान एक नर्स ममता के साथ हुई और दोनों के बीच जल्द ही अच्छा खासा रिश्ता पनप गया. दोनों एक साथ बगैर शादी के यानी लिवइन में रहने लगे.
बाद में बिष्णु की शादी किसी और के साथ हुई लेकिन ममता के साथ उसका रिश्ता जारी रहा. हालांकि वक्त के साथ दोनों के रिश्ते में उतनी गर्माहट बची नहीं जितनी पहले हुआ करती थी. वक्त गुज़रता चला गया और दोनों की ज़िंदगी अलग अलग करवटें लेती रही. ममता एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे अस्पताल में बतौर नर्स काम करती रही. इधर, बिष्णु मेडिकल स्टोर का धंधा छोड़कर अलग अलग काम करता रहा.
अब कहानी में ट्विस्ट आया साल 2018 की शुरुआत में. डॉ ऋषिकेश के गायत्री क्लीनिक में नर्स के तौर पर ममता पिछले कुछ समय से काम कर रही थी. 42 साल की ममता के काम के साथ ही उसकी बातचीत और सुंदरता बरबस ही डॉ ऋषिकेश को आकर्षित किया करती थी. डॉ ऋषिकेश रसूखदार आदमी था और उसका धंधा अच्छा जमा हुआ था इसलिए उसकी कमाई भी बहुत अच्छी थी. पहले भी डॉ ऋषिकेश कभी कभी ममता को तोहफे देता था.
ममता पर पूरी तरह फिदा हो चुके 55 साल के डॉ ऋषिकेश ने एक रोज़ ममता से अपने प्यार का इज़हार कर ही दिया. ममता अपनी ज़िंदगी में तकरीबन अकेली थी क्योंकि बिष्णु अपनी ज़िंदगी और परिवार के साथ बिज़ी हो चुका था. फिर बिष्णु से बेहतर स्थिति डॉ ऋषिकेश की थी, हर तरह से, इसलिए ममता ने डॉ ऋषिकेश का प्रपोज़ल मंज़ूर कर लिया और दोनों बतौर प्रेमी प्रेमिका एक दूसरे के साथ वक्त गुज़ारने लगे.
इसी तरह दिन बीत रहे थे और ममता व डॉ ऋषिकेश एक दूसरे के बेहद करीब आते जा रहे थे. डॉ ऋषिकेश उस हद तक पहुंच गया था जहां औरत को आदमी अपने अधिकार क्षेत्र में समझने लगता है. इसी दौरान, ममता के किसी फोन कॉल ने डॉ ऋषिकेश के दिमाग में यह शक पैदा किया कि कोई और आदमी है जो ममता के साथ प्रेमी की तरह बर्ताव करता है. डॉ ऋषिकेश ने अपने स्तर पर जानकारी जुटाई और सच सामने आ गया कि ममता और बिष्णु के बीच रिश्ता कितना पुराना और कितना गहरा रहा.
यह सच जानने के बाद डॉ ऋषिकेश को मन ही मन लगने लगा कि ममता उसके साथ धोखा कर रही थी. डॉ ऋषिकेश को ममता पर तो कम लेकिन बिष्णु पर ज़्यादा गुस्सा आया क्योंकि वह बर्दाश्त नहीं कर सका कि उससे कम हैसियत का कोई आदमी उसकी प्रेमिका का प्रेमी बना बैठा है. डॉ ऋषिकेश ने सर्जरी के अपने हुनर का गलत इस्तेमाल करने की तरकीब सोचकर एक खतरनाक कदम उठाने का इरादा कर लिया.
डॉ ऋषिकेश ने अपने इरादे को अंजाम देने से पहले बिष्णु के बारे में कुछ ज़रूरी बातें पता कर ली थीं. उसे पता चल चुका था कि बिष्णु आदतन शराबी है. पिछले महीने 18 अगस्त 2018 को डॉ ऋषिकेश ने एचडीएफसी बैंक के साथ एजेंट के तौर पर काम कर रहे बिष्णु को अपने घर बुलाया. बिष्णु के साथ कुछ देर इधर उधर की बातचीत की और उसे चाय पिलाई. यह बिष्णु के साथ डॉ ऋषिकेश की पहली मुलाकात नहीं थी.
कुछ ही देर में डॉ ऋषिकेश ने बिष्णु का भरोसा जीत लिया. फिर डॉ ऋषिकेश ने उससे शराब की लत के बारे में बातचीत की और कहा कि वह बिष्णु की मदद कर सकता है. शराब छुड़वाने के लिए डॉ ऋषिकेश ने बिष्णु को एक मेडिकल तरकीब बताते हुए कहा कि ऐसे डी-एडिक्शन इंजेक्शन आते हैं जिनके इस्तेमाल से शराब छुड़वाई जा सकती है. बातों-बातों में डॉ ऋषिकेश ने बिष्णु को इस तरह के इलाज के लिए राज़ी कर लिया.
अब डॉ ऋषिकेश ने बिष्णु को अंदर के कमरे में ले जाकर यह इंजेक्शन लगाने की तैयारी की. बिष्णु को इंजेक्शन लगाने के बाद डॉ ऋषिकेश ने उसे कुछ देर वहीं आराम करने को कहा. कुछ ही मिनटों में बिष्णु पर बेहोशी छाने लगी और उसने इस बारे में डॉ ऋषिकेश को बताया. वह मन ही मन खुश हुआ और जैसे ही बिष्णु बेहोश हुआ, डॉ ऋषिकेश ने उसके पैर में टखने के पास शरीर की एक खास नस को काटा.
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डॉ ऋषिकेश चूंकि डॉक्टर था इसलिए शरीर का पूरा ताना बाना उसे अच्छी तरह पता था. बिष्णु की नस काटने से खून बहने लगा. एक तरह से यह बिष्णु के शरीर को खून से खाली करने का काम था. खून रिसता रहा और इस बीच डॉ ऋषिकेश ने दस्ताने पहनकर अपने सर्जरी के औज़ार इकट्ठे किए. काफी खून निकल चुकने के बाद उसने बेहोश पड़े बिष्णु की गर्दन से उसका सिर काटकर अलग किया. फिर डॉ ऋषिकेश ने कमर के पास से बिष्णु के दोनों पैर काट दिए.
बिष्णु की लाश के तीन चार टुकड़े हो चुके थे. डॉ ऋषिकेश ने इन टुकड़ों को अलग अलग पॉलीथीन बैग्स में पैक किया. बिष्णु को कत्ल करने से पहले डॉ ऋषिकेश ने अपने नौकर गंगा को बाज़ार भेजकर कुछ सामान मंगवा लिया था. गंगा की लाई हुई रस्सी से बैग्स को अच्छी तरह पैक किया गया. फिर गंगा की मदद से डॉ ऋषिकेश ने लाश के पैक टुकड़ों को कार में रखा और दोनों बड़ा गुमला इलाके में पहले से तय ठिकाने पर पहुंचे.
इस इलाके में एक बड़ा सा गड्ढा था जिसमें नर्सिंग होम्स से निकलने वाला बायोमेडिकल कचरा फेंका जाता था. डॉ ऋषिकेश ने लाश के पैक टुकड़े इस गड्ढे में डाल दिए और एक ढक्कन से उसे ढंकवा दिया. दो दिन बाद 20 अगस्त को डॉ ऋषिकेश ने इस कत्ल को रहस्य बनाने के इरादे से इस गड्ढे को पूरी तरह बंद करने के लिए एक मिस्त्री बिधान को बुलाया और उसने कुछ ही देर में सीमेंट कॉंक्रीट के ढक्कन से इस गड्ढे को परमानेंट बंद कर दिया.
खून अपने निशान छोड़ जाता है इसलिए कत्ल की गुत्थी कभी न कभी तो सुलझना ही थी. 18 अगस्त से गायब हुए बिष्णु की तलाश जारी थी और पुलिस तफ्तीश करती हुई करीब एक महीने बाद बीते 15 सितंबर को बड़ा गुमला के इस बंद कर दिए गए गड्ढे तक पहुंच गई. गड्ढा खुदवाया गया और बिष्णु की सड़ी गली लाश के टुकड़े बरामद किए गए.
फिर पूछताछ के बाद पता चल गया कि इस कत्ल को डॉ ऋषिकेश ने अंजाम दिया है. कत्ल के बाद बेहरामपुर से भाग चुके डॉ ऋषिकेश को पुलिस ने एक दो दिन बाद ही भुवनेश्वर से गिरफ्तार कर लिया तो लव ट्राएंगल के कारण किए गए कत्ल की कहानी सामने आ गई.